भोपाल। श्योपुर के कलेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल और और विवादों का चोली-दामन-सा साथ रहा है। हां, इनसे जुड़े विवाद कुछ अलग तरह के होते हैं। वर्ष 2009 में ज्ञानेश्वर पाटिल जब पंचायत विभाग में थे, तब एक पंचायत सचिव के साथ समलैंगिक संबंध बनाते रंगे हाथों धरे गए थे। अब उन पर अपने साथी कलेक्टर की पूर्व पत्नि को बैडरूम में बुलाने का आरोप लगा है।
जिला शिक्षा केंद्र के राजीव गांधी मिशन के तहत डाटा एंट्री का काम करने वाली महिला जो पूर्व कलेक्टर की पत्नि भी हैं, ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। यह मामला इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में है। महिला ने इस मामले की शिकायत मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग में की है।
वर्ष 2009 में पंचायत सचिव के साथ समलैंगिक संबंध बनाने के आरोप में फंसने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद से वे लूप लाइन में थे। दरअसल, आईएएस एसोसिएशन इनकी बहाली चाह रही थी, जबकि पंचायत सचिव संगठन आईएएस को बर्खास्त करने की मांग पर अड़ा था। हालांकि, उस समय तक यही माना जाता रहा था कि पाटिल पर पंचायत सचिव द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं, लेकिन श्योपुर की घटना के बाद अब कोई भी उनके पक्ष में मुंह खोलने को तैयार नहीं है।
सवाल यह उठता है कि एक बार फिर अधीनस्थों से सैक्स डिमांड करने वाले आईएएस अधिकारी को अभी तक अपने पद पर क्यों यथावत रखा गया है। यदि सरकार ऐसे अधिकारियों को खुलेआम संरक्षण देगी तो समाज में घूम रहे अपराधियों पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया कैसे मजबूत हो पाएगी।