भोपाल। तीसरी बार, सिर्फ शिवराज का टारगेट लेकर जुटी मध्यप्रदेश सरकार की एक टीम ने तय कर लिया है आगामी चुनावों में मध्यप्रदेश की जनता के सामने किसी भी दूसरे नेता को हाईट मिलने नहीं दी जाएगी। इसी के चलते शिवराज सिंह की धुंआधार सभाओं की तैयारी की जा रही है और एक विशेष जेटप्लेन किराए पर लिया जा रहा है जिस पर अगले 6 महीनों में लगभग 20 करोड़ का खर्चा आएगा।
राज्य सरकार के पास इस समय एक हवाई जहाज और तीन हेलीकॉप्टर मौजूद है, इसके बावजूद राज्य सरकार चुनावी वर्ष में एक जेट एरोप्लेन किराए पर लेने की तैयारी कर रही है। यह एरोप्लेन छह माह के लिए किराए पर लिया जाएगा। इसके लिए विमानन विभाग ने नामी एयरलाइन कंपनियों से 8 अप्रैल तक प्रस्ताव बुलाए हैं।
राज्य सरकार के विमानन विभाग के हवाई बेड़े में इस समय जो विमान और हेलीकॉप्टर उपलब्ध है उनमें अमेरिका की रेथ्यॉन एयरक्रॉफ्ट कंपनी से वर्ष 2002 में खरीदा गया सुपरकिंग बी 200 विमान शामिल है। इसके अलावा दो पुराने हेलीकॉप्टर पहले से ही मौजूद हैं। इनमें अमेरिका की बेल टेक्सट्रान कंपनी से वर्ष 2003 में खरीदा गया सिंगल इंजन वाला हेलीकॉप्टर बेल 407 और वर्ष 1998 में अमेरिकी कंपनी बेल टेक्सट्रान से खरीदा गया डबल इंजन वाला हेलीकॉप्टर बेल 430 पहले से ही उपलब्ध है। वर्ष 2011 में ही राज्य सरकार ने फ्रांस की कंपनी यूरोकॉप्टर से एक नया डबल इंजन वाला हेलीकॉप्टर ईसी 155 बी-1 खरीदा है।
पहले खरीदने का था विचार
पहले राज्य सरकार ने एक नया जेट विमान खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन चुनावी वर्ष में नए विमान की खरीदी में वित्तीय अनियमितता से जुड़े किसी आरोप या विवाद में उलझना नहीं चाहती। इसलिए अब जेट खरीदने का प्रस्ताव सरकार ने फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
लक्झरी और हाईटैक होगा जेट प्लेन
मुख्यमंत्री और अन्य प्रमुख वीआईपी सुपरकिंग बी-200 विमान और नए डबल इंजन वाले हेलीकॉप्टर ईसी 155 बी-1 से यात्रा करते हैं। अन्य हेलीकॉप्टरों से मंत्रियों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को हवाई यात्रा कराई जाती है। मुख्यमंत्री से लेकर तमाम वीआईपी की हवाई यात्रा के लिए पर्याप्त इंतजाम है। इसके बावजूद किराए से एक और जेट लेने की योजना बनाई गई है। इसके लिए ईओआई भी जारी हो गई है। सरकार जो जेट किराए से ले रही है वह लक्जरी रहेगा। पांच वर्ष से पुराना एरोप्लेन किराए पर नहीं लिया जाएगा।
खड़ा भी रहा तो चुकाना होंगे 3.40 लाख
इस जेट एरोप्लेन के किराए पर राज्य सरकार को छह माह में दस से बीस करोड़ रूपए खर्च करना होगा। किराए पर लिए जा रहे जेट एरोप्लेन का उपयोग न करने की दशा में भी हर दिन लगभग दो घंटे का किराया राज्य शासन को अदा करना होगा जो प्रतिदिन लगभग 3 लाख 40 हजार रूपए बैठता है। इस हिसाब से यदि किराए का जेट यदि खड़ा भी रहे तो छह माह में ही छह से सात करोड़ रूपए देना होगा। इसके अलावा इसका उपयोग किया गया तो यह राशि कई गुना अधिक हो सकती है।