भोपाल। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित दवा घोटाले में मंत्री अजय विश्नाई एवं दो प्रमुख अधिकारियों को लोकायुक्त से मिली माफी पर अब नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी सवाल उठाया है। सनद रहे कि राजधानी में आज दिनभर यही विषय चर्चा का प्रमुख केन्द्र रहा और सबसे पहले भोपालसमाचार.कॉम ने इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिहं ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार के जनक बड़े आरोपियों को बख्शा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री की नाक के नीचे सेल टैक्स के एक अधिकारी का रिश्वत लेते हुए पकड़े जाना विधानसभा में प्रश्न लगाने के लिए भाजपा विधायक द्वारा डेढ़ लाख लेना इस बात का प्रमाण है कि भ्रष्टाचार की जड़ें प्रदेश में गहरी हो चुकी है और इसे मजबूत करने का काम वही लोग कर रहे है जो सरकार में बैठे हैं। भाजपा सरकार की 9 साल की उपलब्धि यह है यह कि यहां भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है।
नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा कि एंटी टीवी ड्रग खरीदी मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान पशुपालन मंत्री मंत्री अजय विश्नाई एवं दो वरिष्ठ अधिकारियों को जिस तरह बख्शा गया है उससे यह साबित हो गया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वालों को क्लीन चिट देकर छोटे लोगों को फसाकर सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की डींग हांक रही है।
श्री सिंह ने कहा कि बगैर ऊपर वालों के संरक्षण के किसी मातहत की हिम्मत नहीं हो सकती कि वह अकेले भ्रष्टाचार करे। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि पिछले 9 साल में भ्रष्टाचार की अकूत संपत्ति बरामद होने वाले प्रदेश में एक भी मंत्री का पकड़े ना जाना और जो पकड़े गए उन्हें छोड़ देना इस बात को बताता है कि जिनके कारण मध्यप्रदेश पूरे देश में भ्रष्टाचार की अनोखी मिसाल कायम कर चुका है वे पूरी तरह सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि अजय विश्नाई के पूर्व डंपर कांड में और अब अन्य मंत्रियों जिनकी लोकायुक्त में कई वर्षो से प्रकरण दर्ज है उन्हें बाइज्जत बरी कर छोटी मछलियों को फंसाया जा रहा है। सरकार इस मामले में जिस तरह का रवैया अपनाए हुए है उसके कारण प्रभावशाली दोषी आरोपी नहीं बन पा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश में बड़ो को माफी छोटों को फांसी का ही परिणाम है कि जहां भाजपा के विधायक देशराज सिंह विधानसभा में प्रश्न लगाने के लिए डेढ़ लाख रूपये की रिष्वत लेकर लोकतंत्र को शर्मसार करते है वहीं राजधानी भोपाल में एक वरिष्ठ अधिकारी सरेआम सरकारी दफ्तर में दो लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि राजधानी से दूर जिलों और गांवों में तो भ्रष्टाचार के हालात इससे भी ज्यादा बदतर है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने पिछले नौ सालों में शिष्टाचार बना दिया है।