भोपाल। अब निजी अस्पताल क्षय रोगियों की जानकारी नहीं छुपा पाएंगे। अगर जानकारी छुपाने की कोशिश की जाती है तो अस्पताल का लायसेंस निरस्त किया जा सकता है। जिला क्षय अधिकारी डॉ. मनोज वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।
डॉ. वर्मा के मुताबिक शहर में 30 फीसद मरीज प्रायवेट अस्पतालों में उपचार कराते हैं, लेकिन ये अस्पताल शासन को इसकी जानकारी नहीं देते। हालात ये हैं कि सिर्फ 12 प्रतिशत अस्पताल ही जानकारियां दे रहे हैं। यही कारण है कि शहर में टीबी के कितने मरीज हैं इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है।
लिहाजा शासन ने टीबी की जानकारी न देने वाले निजी अस्पतालों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है। विभाग जानकारी न देने वाले अस्पतालों का कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल ही में टीबी को सूचनीय बीमारी (नोटीफाइऐबल डिसीज) की केटेगरी में शामिल किया है, लिहाजा कोई भी सरकारी और निजी अस्पताल टीबी रोगियों की जानकारियों को नहीं छुपा सकता।
शासन ने पूर्व में भी निजी अस्पतालों को 22 दिसंबर 2012 तक टीबी की जानकारी देने के निर्देश दिए थे। निर्देश में कहा गया था कि जब भी कोई मरीज इलाज कराने आएगा, उसकी जानकारी तुरंत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को देनी होगी।