राकेश दुबे@प्रतिदिन/ सुबह सरकार को प्रतिपक्ष कोस रहा था, शाम को अब देश का हर नागरिक कोस रहा है| पेट्रोल के दाम शाम को एकाएक 1 रुपया 40 पैसे लीटर बढ़ा दिए गए| आधी रात से ये बढ़ जायेंगे| यह बढ़ोतरी पिछले 15 दिनों में तीन रुपया हो गई है|
रेल बजट में चोरी-छिपे, आम बजट में सीनाजोरी से, और पेट्रोल के दाम के बहाने आम आदमी की जेब पर डाका डालने के क्या अर्थ है ? साफ पता लगता है कि मरते हुए आदमी को आक्सीजन देने के स्थान पर उसके अंगों को निचोड़ने की यह शातिराना चाल है| बजट के पहले पेट्रोल कम्पनियों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करना फिर डीजल जैसे अत्यावश्यक ईधन और सामान्य आदमी के उपयोग में आने वाले पेट्रोल और रसोई में उपयोगी गैस की कीमतों में कारगुजारी|
देश के बजट से ज्यादा कई गुना कालाधन विदेश की बैंकों में जमा है और आये दिन होते घोटालों में घूम रही भारी राशि भी जाने किन-किन रास्तों से टैक्स हैवन देशों में पहुंच रही है| देश का राजकोषीय घाटा कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है| पूरा भारत गरीब हो रहा है| सिवाय उनके, जो सरकार चलाने के गौरखधंधे में पक्ष या प्रतिपक्ष में बैठे हैं अथवा किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी से सीधे या परोक्ष से जुड़े हैं|
अब देश में खाना महंगा, आना महंगा—जाना महंगा, पढना महंगा—पढाना महंगा हो गया है| सरकार को समझाना तो पहले ही महंगा था अब न मुमकिन है, सरकार बदलने की बात दिवास्वप्न| बजट के बाद बनाये गये कार्टूनों में आम आदमी का कंकाल दिखाया गया है, अब उसमे भी आग लगाने की तैयारी है|
- लेखक श्री राकेश दुबे प्रख्यात पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। rakeshdubeyrsa@gmail.com
