मध्यप्रदेश के रेत कारोबार पर कब्जा करने आ गए हैं यूपी ओर दिल्ली के रेत कारोबारी

भोपाल। मध्य प्रदेश में आने वाले समय में मकान बनवाना थोड़ा और भी महंगा होगा क्योंकि रेत के दाम बढ़ने वाले हैं। दरअसल यूपी की खदानें खाली करके खजाना भर चुके रेत कारोबारियों ने अब मध्य प्रदेश की खदानों पर निगाहें गड़ा दी हैं।

प्रदेश में हो रही नीलामी में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा के नतीजे में पिछले तीन दिनों से 300 गुना तक बोली बढ़ाकर खदानें खरीदने का सिलसिला मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जनपदों में चल रहा है। इसके बाद यह भी तय है कि बालू के बदले करोड़ों रुपये लुटा रहे कारोबारी मुनाफा मकान बनाने वालों से ही वसूलेंगे।

गौरतलब है कि समूचा बुंदेलखंड खनिज संपदा से भरपूर है। सबसे ज्यादा बालू यहां है। बांदा, हमीरपुर, फतेहपुर में हर साल करोड़ों रुपए की बोलियां बोलकर बालू कारोबारी खदानें हासिल करते हैं, लेकिन बसपा सरकार जाने के बाद कुछ कानूनी अड़चनें ऐसी आईं कि इन जिलों की अधिकांश खदानें ठप हो गईं।

पर्यावरण मंत्रालय ने खनन के लिए एनओसी नहीं दी। ऐसे में पड़ोसी मध्य प्रदेश के छतरपुर और पन्ना जनपदों की बालू खदानों की अहमियत रातों-रात बढ़ गई। पिछले तीन दिनों से छतरपुर के कलेक्ट्रेट परिसर में 32 खदानों की नीलामी चल रही है। इसमें नौ खदानें पत्थर की हैं और 22 खदानें बालू (रेत) की।

मध्य प्रदेश में बालू का ठेका लेने के लिए छतरपुर में पिछले तीन दिनों से न सिर्फ बुंदेलखंड और बांदा बल्कि दिल्ली, गाजियाबाद, मुरादाबाद और राजस्थान से भी बालू के कारोबारी लाव-लश्कर के साथ डेरा डाले हैं। बोली में शामिल पोंटी चड्ढा ग्रुप का पलड़ा सबसे भारी बताया जा रहा है।

नीलामी में शामिल होने के लिए निर्धारित प्रति खदान की रकम का 30 फीसदी पहले जमा करने वाला ही बोली में शामिल हो पा रहा है। एक-एक बोलीदाता ने 30 लाख से एक करोड़ रुपए तक जमा किए हैं।

जिस खदान की बोली फाइनल हो जाती है उसकी कुल रकम का 50 फीसदी तत्काल जमा करना होता है। लिहाजा सभी बोलीदाता बैगों और बक्सों में नोटों की गड्डियां भरकर यहां मौजूद हैं। सुरक्षा के लिए लाव-लश्कर और सशस्त्र लोग भी साथ हैं।

छतरपुर की नहरा (गौरिहार) खदान (चार हेक्टेयर) छह करोड़ में नीलाम होने की खबर है। इसी तरह फत्तेपुर (गौरिहार) की दो खदानों में एक खदान चार करोड़ 72 लाख और दूसरी खदान चार करोड़ रुपये में नीलाम हुई है। इन दोनों का खनन क्षेत्र भी चार-चार हेक्टेयर है।

मवई खदान (चार हेक्टेयर) एक करोड़ 70 लाख और कुरचना खदान (चार हेक्टेयर) एक करोड़ 37 लाख रुपये में नीलाम हुई। नरैनी (बांदा) की सरहद से जुड़ी केन नदी की बारबंद खदान जो पिछले वर्षों में साढ़े तीन लाख के आसपास में नीलाम होती थी इस वर्ष बताते हैं कि बोली 90 लाख रुपये तक पहुंच गई है। यह खदान भी मध्य प्रदेश की है। रामपुर खदान की नीलामी एक करोड़ 82 लाख रुपये में हुई।

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