बिल्डर्स को नुक्सानदायक नहीं होगा प्रस्तावित रीयल इस्टेट बिल

भोपाल। रीयल इस्टेट सेक्टर को रेग्युलेट करने के लिए प्रस्तावित बिल में डिलिवरी सिस्टम को पारदर्शी बनाने का प्रावधान है, लेकिन इससे इस सेक्टर की ग्रोथ पर असर नहीं पड़ेगा।

नईदिल्ली में CREDAI के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन सचिव अरुण कुमार मिश्रा ने डिवेलपरों को भरोसा दिया कि प्रस्तावित रीयल इस्टेट बिल व्यापक है और इससे उनके पर नहीं कतरे जाएंगे।

रीयल इस्टेट कारोबार करने वाली करीब 9,000 मेंबरों की टॉप संस्था CREDAI प्रस्तावित कानून का यह कहते हुए विरोध कर रही है कि मौजूदा स्वरूप में बिल प्रैक्टिकल नहीं है और सिर्फ प्रॉपर्टी खरीदने वालों के ही पक्ष में है। मिश्रा ने हालांकि कहा कि यह बिल डिलिवरी की पारदर्शी और खुली प्रणाली स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।

इस हफ्ते शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन ने कहा था कि बिल जल्द ही मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए लाया जा सकता है और सरकार की इस बिल को संसद के बजट सत्र में पेश करने की योजना है। इस बिल के तहत एक नियामक प्राधिकार स्थापित करने का टारगेट है, ताकि प्रॉपर्टी के लेन-देन उचित तरीके से हो और इससे जुड़े विवाद का निपटान जल्दी हो। बिल में अपने प्रॉजेक्ट्स के बारे गुमराह करने वालो डिवेलपरों को जेल की सजा तक का प्रावधान है।
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