राकेश दुबे@प्रतिदिन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीति में नहीं है, और विशेषकर भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में तो बिलकुल नहीं| जो अपने को संघ का पसंदीदा उम्मीदवार बता रहे है, वे भ्रम पैदा कर रहे हैं| भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा के पूर्व यह स्पष्टीकरण संघ की और से आया| बेचारे राजनाथ सिंह गलतफहमी में कुछ कर बैठते तो|
दिल्ली के मीडिया में इस आशय की खबर आई थी कि राजनाथ सिंह पशोपेश में है मध्यप्रदेश के कुछ नेताओं के बारे में निर्णय नहीं ले पा रहे हैं | इशारा शिवराज सिंह की और था | केंद्र उन्हें संसदीय बोर्ड लेना चाहता था | प्रदेश की राजनीति से हाल ही विदा हुए नेताओं ने इसका विरोध किया और आडवाणी जी के मार्गदर्शन के बाद यह स्थान नरेंद्र मोदी के लिए बनाने की कवायद शुरू हुई |
मध्यप्रदेश के एक दूसरे नेता के बारे में खबर चलवाई गई की वे महासचिव हो सकते हैं, क्योंकि वे एक मात्र संघ के पसंदीदा उम्मीदवार है | फिर परेशानी, स्पष्टीकरण पूछा गया जवाब आया “ संघ का कोई नुमाइंदा नहीं है, जो ऐसी बात कह रहे है वे गलत कह रहे है, वे पहले भी ऐसी गलतफहमी फैलाने के आदी रहे हैं |” अब तीसरी खबर परेशान कर रही है | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री किसी एक सांसद को महासचिव न बनाने के पक्ष में हैं|
सवाल यह है कि संघ को यह भाजपा बिना किसी कारण अपनी राजनीति में क्यों घसीटती है ? संघ के कुछ अधिकारीयों की रूचि और दखल भाजपा की राजनीति में रही थी | अब वे मुख्य धारा में तो है पर संघ की राजनीति में रूचि नहीं है और उसके नाम से कुछ भी कहना बेमानी |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।