लकड़ी का गठ्ठा गिरने से मालगाड़ी की कप्लिंग टूटी, इंजन से अलग हुये डिब्बे

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दमोह से शंकर सोनी ।  दमोह में तो जैसे रेल हादसों की बाढ सी आ गई है आये दिन कुछ न कुछ हादसे यहां घटित होने लगे हैं, करीब एक माह पूर्व रेल्वे स्टेशन से कुछ दूरी पर ही एक मालवाहक ट्राली चिरमिरी ट्रेन से टकरा गई थी इस हादसे में भले ही कोई हताहत नहीं हुआ था लेकिन एक बहुत बड़ा हादसा घटित होने से बच गया था। इस हादसे को बीते कुछ ही घंटे हुये थे कि रेलपटरी के समीप कार्य कर रही एक जेसीबी द्वारा उठाई गई पटरी चलती मालगाडी से टकरा गई।

इस हादसे में नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन रेल्वे सुरक्षा प्रणाली की भारी चूक सामने आ गई। ऐसा ही एक हादसा मंगलवार की दोपहर को घटित हो गया जिसमें कटनी तरफ जा रही मालगाडी की कप्लिंग टूट जाने से इंजन आगे बढ गया और डिब्बे पीछे छूट गये। इस हादसे की वजह रही लकडी का गठ्ठा जा सीधा कपलिंग पर जाकर गिरा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह-कटनी डाऊन ट्रेक पर गेट नं. 60 फुटेरा फाटक के समीप कटनी की ओर मालगाड़ी जा रही थी उसी समय अप ट्रेक पर चिरमिरी पैसेंजर ट्रेन खडी हुई थी। 

इस पैसेंजर ट्रेन में यात्रियों की अपेक्षा लकड़ी के गठ्ठे अधिक ढोये जाते है जिन्हे आऊटर पर ट्रेन के रूके होने पर उतारा जा रहा था। इसी बीच लकड़ी का गठ्ठा किसी के द्वारा फैंका गया जो सीधे चलती मालगाड़ी के डिब्बों के बीच जा गिरा। यह लकड़ी का गठ्ठा सीधे डिब्बों को जोडने वाले कपलिंग पर गिरा जिससे हौज पाईप फट गया और कपलिंग टूट गई। कपलिंग के टूटते ही इंजन तो आगे बढ़ गया लेकिन अन्य डिब्बे पीछे ही छूट गये। घटना की जानकारी मालगाडी के ड्राईवर को लगने पर उसने तुरंत ही इंजन को रोक दिया व गेट पर तैनात गेटमैन विष्णु देवप मिश्रा ने इस हादसे की सूचना स्टेशन मास्टर को दी। 


जब तक स्टेशन से सुधार कार्य करने वाली टीम घटना स्थल पहुंचती तब तक मालगाडी के ड्राईवर एवं गार्ड ने सुधार कार्य करना प्रारंभ कर दिया। करीब आधा घंटा के बाद सुधार कार्य हो पाया तब कहीं जाकर मालगाडी आगे बढ सकी व डाऊन ट्रेक पर यातायात सुचारू रूप से चालू हो सका। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी केदारनाथ सोनी ने बताया कि जिस तरह से कपलिंग टूटी थी उससे कुछ भी हादसा घटित हो सकता था।

रोजाना ढोयी जा रही लकड़ी- चिरमिरी पैसेंजर ट्रेन से रोजाना लकड़ी के गठ्ठे ढोये जाते है, रेल्वे के अधिकारी भी इस कार्य को रोकने में असक्षम है, पूर्व में वन विभाग द्वारा अभियान चलाकर लकड़ी ले जाने वालों के खिलाफ कार्यवाही की थी लेकिन इस कार्य पर आज भी अंकुश नहीं लग पाया है।


कपलिंग टूटने की घटना के लिये भी यहीं लकड़ी के गठ्ठे जिम्मेदार रहे। लकडी की तस्करी करने वाले आऊटर पर ट्रेन को चैन खींचकर रोक लेते है और अपने-अपने लकडी के गठ्ठे उतार लेते है जिससे उन पर रेल्वे कार्यवाही नहीं कर पाता। यात्रियों को भी इन लकडी के गठ्ठों से खासी परेशानी का सामना करना पडता है उन्हे न तो ट्रेन से उतरने मिल पाता है और न ही बैठने क्योंकि ये लकडी के गठ्ठे ढोने वाले बीच दरवाजों पर इनको रखे रहते है। इस तरह के हादसे दोबारा न हो इसके लिये रेल्वे विभाग को प्रयास करना आवश्यक है अन्यथा भविष्य में कभी भी बडा हादसा घटित हो सकता है।

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