उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। छत्तीसगढ़ में पिछले 510 दिनों से चल रहा संविदा शिक्षकों के संघर्ष को विराम मिल गया है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्कूल शिक्षा अयोग बनाने की घोषणा कर दी है जो मांगों की स्क्रूटनी करके सरकार को अनुशंसा भेजेगा, लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया है। यहां तो हालात यह हैं कि मोर्चा पदाधिकारी इंतजार करते रहते हैं, शासन के प्रतिनिधि दुआ सलाम तक नहीं करते।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आज आंदोलनकारी शिक्षकों के प्रतिनिधि मंडल को अपने निवास पर आमंत्रित किया। प्रतिनिधि मंडल में 200 आंदोलनकारी शामिल थे। सबसे बातचीत के बाद उन्होंने स्कूल शिक्षा अयोग के गठन की घोषणा की एवं तत्समय ही शासन के अधिकारियों की इसके लिए आवश्यक प्रशासनिक कार्रवाई करने के आदेश दिए।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को विशिष्ठ संवर्ग माना जाए एवं प्राथमिकता के आधार पर उनकी समस्याओं का हल निकाला जाए, इसके अलावा क्रमोन्नति और शेष विषयों पर भी तत्काल आदेश जारी किए गए। इसी के साथ 510 दिनों से चल रहे संघर्ष पर विराम लग गया।
परंतु मध्यप्रदेश में ऐसे सौहार्दपूर्ण हालात बनने की स्थिति दिखाई नहीं दे रही थी। अब तक सरकार का जो रुख रहा है वो कतई पॉजिटिव नहीं कहा जा सकता। राजधानी भोपाल के अलावा पूरे प्रदेश में करीब 200 अध्यापकों के खिलाफ विभिन्न प्रकार की कार्रवाईयां इस आंदोलन के कारण हो चुकीं है। लगभग एक दर्जन अध्यापकों की गरीबी के चलते इलाज न करा पाने के कारण मौत हो गईं।
अध्यापक दर दर भटक रहे हैं, आंदोलित हैं परंतु एक ओर शासन का अडियल रवैया और दूसरी ओर अध्यापक नेताओं में चल रही आपसी खींचतान ने हालात बदतर कर रखे हैं। माना जा रहा है कि अप्रैल में महापंचायत का आयोजन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी 6वें वेतनमान की घोषणा करेंगे परंतु फिलहाल यह सबकुछ चर्चाओं में ही है। शासन की ओर से इस बावत् कोई अधिकृत बयान जारी नहीं हुआ है।
देखते हैं छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा आयोग के गठन के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रिय संविदा शिक्षकों को इससे बेहतर क्या दे पाते हैं। दे भी पाते हैं या...।