दतिया। जिले में पुलिस हिरासत में प्रताडऩा से मौत का मामला सामने आया है। अपहरण के एक मामले में पूछताछ के लिए उदगुवां चौकी लाए गए युवक नेतराम की लाश शनिवार को पलोथर में एक पेड़ पर लटकी मिली। परिजन युवक की मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मृतक की मां फूलाबाई ने कहा कि पुलिस ने थाने में मेरे बेटे को पीट-पीटकर मार डाला और लाश पेड़ से लटका दी। पुलिस अब उसकी मौत को आत्महत्या बता रही है।
इधर पुलिस का कहना है कि युवक को शुक्रवार को थाने से छोड़ दिया गया था। इसी दिन शाम को उसका शव पेड़ से लटके होने की सूचना मिली।
बेटे को छुड़ाने थाने के सामने ही बैठी थी
शुक्रवार को मैं अपने बेटे से थाने में मिलने गई थी। पुलिस से उसे छोडऩे के लिए गुहार लगाई थी। लेकिन उन्होंने उसे नहीं छोड़ा। मैं बेटे को छुड़ाने के लिए थाने के सामने ही बैठ गई थी। पुलिस ने उसे बहुत पीटा और थाने में ही मार डाला। बाद में उसकी लाश को पेड़ से लटका दिया।
फूलाबाई, मृतक नेतराम की मां
कुछ सवाल जिनके चाहिए जबाव
- यदि पुलिस को शुक्रवार की शाम ही नेतराम की मौत की सूचना मिल गई थी, तो थाने के सामने दो दिन से बैठी उसकी मां को सूचना शनिवार की सुबह क्यों दी गई।
- पुलिस को नेतराम की मौत की सूचना किसने दी। पुलिस उसका नाम उजागर क्यों नहीं कर रही है?
- अगर मामला सामान्य आत्महत्या का था तो घटना की सूचना पर मौके पर राजस्व व प्रशासनिक अधिकारी क्यों पहुंचे?
- आमतौर पर मजिस्ट्रियल जांच के लिए अफसरों की अनुमति का इंतजार करने वाले राजस्व अधिकारियों ने तत्काल मौके पर ही मजिस्ट्रियल जांच की घोषणा करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई?
- परिजन का कहना है कि पुलिस पांच दिन पूर्व (26 मार्च) नेतराम को घर से पकड़कर ले गई थी, जबकि पुलिस का कहना है कि उसे 28 मार्च को उठाया गया था।
- यदि पुलिस की पूछताछ के बाद छोडऩे की बात को मान भी लिया जाए तो नेतराम को थाने के सामने बैठी उसकी मां के हवाले क्यों नहीं किया गया?
भाई नहीं मिला तो नेतराम को पकड़ लाई थी पुलिस
कोतवाली में पांच मार्च को आनंद पुत्र राकेश गुप्ता (17) की गुमशुदगी दर्ज की गई थी। बाद में फिरौती के लिए फोन आने पर पुलिस ने गुमशुदगी को अपहरण में तब्दील कर लिया। इस मामले में पुलिस ने उदगुवां निवासी रज्जू खंगार व करैरा निवासी बंटी जाटव को पकड़ा था। दोनों आरोपियों ने पूछताछ में शिवपुरी के ग्वालिया निवासी गोपाल खंगार का नाम बताया। पुलिस ने उसके गांव ग्वालिया में दबिश दी। पुलिस को गोपाल नहीं मिला तो उसके भाई नेतराम को पकड़ लाई। उसके बाद से ही नेतराम पुलिस के कब्जे में था।