इंदौर। बे—ईमानों की इस दुनिया में कुछ लोग हैं जो याद दिला जाते हैं कि ईमानदारी अभी जिंदा है। वो रिक्शा चालक है। दिनभर में सौ दो सौ से ज्यादा नहीं कमा पाता। 2.80 लाख रुपए उसके लिए बहुत बड़ी रकम है। शायद उसका घर बन जाएगा। फिर भी उसका ईमान नहीं डोला। वो पुलिस थाने पहुंचा और रुपयों से भरा बैग लौटा दिया।
यह मिसाल पेश की रामानंदनगर में रहने वाले लोडिंग रिक्शा चालक राजेश राठौर और हेल्पर चिंतामण सालवी ने। राजेश ने बताया वे शुक्रवार दोपहर सुदामानगर में शकर के बोरे खाली कर सियागंज लौट रहे थे। मोती तबेला से मुड़े तो शिव मंदिर के सामने नीले रंग का बैग दिखा। उठाकर खोला। उसमें 500 और 100 के नोटों की गड्डियां थीं। दोनों घबरा गए और परिचित सेंट्रल कोतवाली थाने के आरक्षक को कॉल किया। फिर वे बैग लेकर थाने गए। टीआई राजेंद्र सोनी ने दोनों को शाबाशी दी। साथ ही कंट्रोल रूम को जानकारी देकर सभी थानों को सूचित करवाया।
इस पूरी कहानी में केवल रिक्शा चालक व उसका हेल्पर ही नहीं बल्कि उस आरक्षण व टीआई ने भी अपना धर्म निभाया जो चाहते तो गोलमाल कर सकते थे। इस प्रसंग के चारों पात्रों को भोपालसमाचार.कॉम की ओर से हार्दिक बधाई।
बाइक में टंगा था बैग
करीब घंटेभर बाद सूचना मिली कि रेवेन्यूनगर में रहने वाले एडवोकेट मनोज गुप्ता ने अन्नपूर्णा थाने में रुपयों से भरा बैग गुमने की शिकायत की है। गुप्ता ने बताया- सियागंज में साले संजय गर्ग की बीएल ट्रेडर्स नाम से दुकान है। यह दुकान मैं ही संभालता हूं। ये रुपए साले के थे। शुक्रवार दोपहर मैं घर से रुपए लेकर बाइक से दुकान जा रहा था। हैंडल पर टंगा बैग रास्ते में कब गिर गया, पता ही नहीं चला।
थाने में हुआ सम्मान
शनिवार को टीआई ने राजेश और चिंतामण को थाने बुलवाया। यहां गुप्ता ने दोनों को फूलों की माला पहनाकर गले लगाया। कहा- दोनों को इनाम देंगे तथा व्यापारी एसोसिएशन के जरिए भी सम्मानित करवाएंगे।