जबलपुर। राज्य सरकार की ढाई हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी ‘भोपाल-जबलपुर फोरलेन’ सड़क परियोजना का टेंडर केंद्र सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑफ इनवेस्टमेंट (सीसीआई) से हरी झंडी मिलने के बाद खुलेगा। सोमवार को इसका ऑनलाइन टेंडर रिसीव हो गया है। मप्र सड़क विकास निगम कोशिश में है कि जल्द ही केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाए, ताकि टेंडर खोलकर सड़क निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।
दूसरी तरफ रातापानी और नौरादेही सेंचुरी से गुजर रहे फोरलेन के क्रमश: 7 व 12 किमी हिस्से की नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से क्लियरेंस मिलने के बाद सड़क विकास निगम सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। दोनों प्रक्रियाएं इसलिए समानांतर की जा रही हैं ताकि विधानसभा चुनाव से पहले फोरलेन का काम प्रारंभ किया जा सके।
निगम ने पूर्व में भी टेंडर बुलाए थे, लेकिन एक ही टेंडर आने के कारण उसे मंजूरी नहीं मिली। इस टेंडर में हैदराबाद की ट्रांस टॉय फर्म ने 38 फीसदी विजिबिलिटी गैप फंडिंग (काम शुरू करने के लिए कुल प्रोजेक्ट की राशि में से सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली राशि) की पेशकश की थी। केंद्र के मापदंड के मुताबिक 40 फीसदी विजिबिलिटी गैप फंडिंग का प्रावधान है। कंपनी का टेंडर जनवरी 2013 में रद्द होने के बाद दुबारा प्रक्रिया प्रारंभ हुई और सोमवार को टेंडर ऑन लाइन रिसीव हो गए।
प्रोजेक्ट पर नजर
294.21 किमी लंबा है फोरलेन ञ्च2485.96 करोड़ रुपए लागत ञ्च1000 करोड़ रुपए के करीब शुरुआत में सरकार को देने होंगे ञ्च4 जिलों भोपाल, रायसेन, नरसिंहपुर और जबलपुर से होकर गुजरेगा
भोपाल-बैतूल का मामला अटका
उधर, भोपाल-बैतूल (राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 69) सड़क निर्माण में ओबेदुल्लागंज-बुधनी के बीच रातापानी के हिस्से को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड से क्लियरेंस नहीं मिला। इसका निर्माण नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया कर रहा है। पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) डॉ. पीके शुक्ला का कहना है कि रातापानी सेंचुरी से होकर गुजर रहे सड़क के हिस्से को लेकर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है।
हरी झंडी का इंतजार
केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में हैं। जैसे ही वहां से हरी झंडी मिलती है, टेंडर खोला जाएगा। अभी यह बताना संभव नहीं है कि निर्माण शुरू होने में कितना वक्त लगेगा। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी कार्यवाही भी प्रक्रिया में है।
विवेक अग्रवाल, एमडी, मप्र सड़क विकास निगम