ओमप्रकाश सचदेवा: जिनका जीवन एक मिशन

हरिहर निवास शर्मा@धरती के रंग भारत विभाजन की विभीषिका झेलने बाले श्री ओम प्रकाश जी सचदेवा 1947 में सरगोधा पंजाब से आकर डबरा मध्यप्रदेश में बसे! फुटपाथ पर दुकानदारी करने से लेकर अपने परिश्रम, मृदु व्यवहार वा ईमानदारी के कारण कपडे के प्रतिष्ठित व्यापारी बने सचदेवा जी ने 18 जून 1995 को जगद्गुरू श्री रामानुजाचार्य जी के सानिध्य में, वरिष्ठ प्रचारक स्व. लक्ष्मण राव जी तराणेकर तथा सेवा भारती के स्व. विष्णू कुमार जी की प्रेरणा से वानप्रस्थ की दीक्षा ली।

डबरा से 4 कि.मी.दूर स्थित "बरोठा की दफाई" वनवासी ग्राम में स्वयं को सेवा हेतु समर्पित कर दिया ! प्रारम्भ में उन लोगों के अविश्वास तथा भय को अपने व्यवहार से दूर कर उन्हें जुआ शराब आदि बुराइयों से दूर कर शिक्षित वा संस्कारित करने का अदभुत कार्य श्री सचदेवा जी ने किया! प्रतिदिन मंदिर में पूजन अर्चन को वे प्रेरित हुए!

बस्ती में रहने बाली विधवा वा बृद्ध महिलाओं के लिये उन्होंने "शबरी मंडली" का गठन भी किया! वृक्षारोपण तथा जल संरक्षण जैसे अभियान भी यहाँ प्रारम्भ हुए! आज कई वनवासी बालक अध्ययन पूर्ण कर बड़े बड़े व्यावसायिक केन्द्रों पर सम्मान पूर्वक नौकरी कर रहे हैं! सुसंस्कार, शिक्षा, स्वास्थ्य वा स्वच्छता के कारण "बरोठा की दफाई आज एक आदर्श ग्राम के रूप में विकसित हो चुका है!

श्री सचदेवा जी के निस्वार्थ सेवा कार्यों के लिये मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किया जाने बाला "विष्णु कुमार जन जातीय समाज सेवा पुरस्कार" सन 2010 में दिया गया ! इसके अतिरिक्त माननीय दत्तोपंत जी ठेंगडी द्वारा भी चेंबर ऑफ़ कोमर्स में आयोजित कार्यक्रम में श्री ओम प्रकाश जी को सम्मानित किया जा चुका है !

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