राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह जो कहेंगे, वह पार्टी का अधिकृत वक्तव्य ही माना जायेगा| उन्होंने भाजपा मंथन के दौरान नितिन गडकरी को क्लीन चिट दे दी है| उनका मानना है की गडकरी राजनीति के शिकार हुए है| ऐसा ही पहले बंगारू लक्ष्मण के लिए कहा गया था और दिलीप सिंह जू देव के लिए भी|
कोई भी राजनीतिक दल कंही यह स्वीकार करता है की उसके नेता क्या गलत कर रहे है? भारत में तो यह परम्परा दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों में है| वे अंत तक अपने लोगों को निर्दोष ही बताते हैं| भले ही जनता छोड़ न्यायालय तक कुछ भी कहे|
कांग्रेस ने भी ऐसे कई मामलों का नोटिस तक नहीं लिया| जिन पर जनता और न्यायविदों की राय साफ थी| सत्ता में आने के बाद की लीपापोती हर मामले को बोफोर्स बना देती है| जैसे लोटस को सीबीआई आज तक नहीं खोज सकी| कई मामले है राजनीति में हमेशा ऐसा ही होता रहा है| किसी भी मामले की जाँच तह तक न पहुंचे, इसके पहले से ही “यह राजनीति है” का शोर मचा कर तथ्यों को दायें- बाएं करने की पुरजोर कोशिश होती है और यदि प्रमाणित भी हो जाये, तो अपील दर अपील|
राजनाथ सिंह हो या अन्य कोई शीर्ष नेता सभी जनता को मुगालते में रखने की कोशिश करते हैं| जब तक चल जाएँ| सिर्फ वे ही लोग राजनीति की शूली पर शहीद होते है, जिनकी भ्रष्टसंगति कमजोर होती है| जोरदार भ्रष्टसंगति वाले तो प्रतिपक्ष को भी साथ लेकर चलते हैं| सबको स्मरण है की आज राजनाथ सिंह जिस क्लीन चिट पर बोल रहे हैं उसे सबसे पहले शरद पंवार ने दिया था| इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके जुर्म हैं........|
- लेखक श्री राकेश दुबे प्रख्यात पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
