मध्यप्रदेश में अध्यापकों की हड़ताल, भाजपा हुई दो फाड़, सांसत में शिवराज सरकार

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रही अध्यापकों की हड़ताल के मामले में एक बार फिर भाजपा दो हिस्सों में बंट गई है। भाजपा के एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस हड़ताल को जल्द से जल्द समाप्त किया जाना चाहिए नहीं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने मैनेजर्स को कहा है कि वो कैसे भी करके इस हड़ताल को समाप्त कराएं।

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के साथ वार्ता के बिफल हो जाने के बाद इधर अध्यापकों की हड़ताल और ज्यादा तेज होती जा रही है। प्रदेश भर में आमरण अनशन पर बैठे अध्यापकों की तबीयतें बिगड़ने लगीं हैं और स्कूलों के प्रबंधन भी ठप पड़े हुए हैं। इसका सीधा असर भाजपा के महाजनसंपर्क अभियान पर भी चल रहा है। कुछ जिलों में तो अध्यापकों ने अपने घरों के बाहर तख्तियां तक लगा दीं हैं जिन पर लिखा हुआ है 'यह अध्यापक का घर है, कृपया भाजपा वाले प्रवेश न करें'।

भाजपा के कोआर्डीनेटर्स तक यह खबरें लगातार पहुंच रहीं हैं और अब यह सूचनाएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक भी पहुंचना शुरू हो गईं हैं। सूत्र बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने अपने कुछ विश्वस्नीय सहयोगियों ने ड्यूटी सौंपी है कि वो किसी भी तरह से इस हड़ताल को समाप्त करने का ऐसा तरीका खोजें जिससे शिवराज सिंह सरकार की लोकप्रियता पर भी कोई प्रभाव न पड़े और कोई बेहतर रास्ता भी निकल आए।

इधर संयुक्त अध्यापक मोर्चा अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है। समान वेतन और संविलियन से कम पर वो किसी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है एवं केवल आश्वासन या घोषणा से भी हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं है।

सरकारी सूत्र बताते हैं कि सरकार दो में से किसी एक मांग को मानने या कोई ऐसा बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है जिससे सब कुछ शुभ ही शुभ हो, अब देखना यह है कि शिवराज सिंह चौहान के मैनेजर्स उन्हें क्या सुझाव देते हैं।


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