ट्रांसपोर्टर्स से 4 लाख रुपए महीना प्रोटक्शन मनी डिमांड की थी डिप्टी कमिश्नर ने

भोपाल। लोकायुक्त पुलिस ने शनिवार को वाणिज्यिक कर उपायुक्त प्रदीप कुमार सिंह को दो लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार उन्होंने मांग की थी कि चार लाख महीना दोगे तो उन्हें तंग नहीं किया जाएगा। उपायुक्त को उस वक्त पकड़ा गया, जब ट्रांसपोर्टर पहली किश्त के दो लाख रुपए देने के लिए वाणिज्यिक कर ऑफिस पहुंचे थे।

18 मार्च को शिकायत की

ट्रांसपोर्ट व्यवसायी कमल पंजवानी, संजीव श्रीवास्तव, अशोक बजाज, आदि ने 18 मार्च को लोकायुक्त पुलिस शिकायत की कि उपायुक्त उनके वाहनों में भरे सामान को अवैध बताकर मनमाना जुर्माना वसूल रहे हैं और हर माह चार लाख रुपए की मांग कर रहे हैं।

ऐसे कसा शिकंजा
लोकायुक्त के कहने पर शनिवार को पंजवानी दोपहर 12 बजे बिट्टन मार्केट स्थित वाणिज्यिक कर के ऑफिस पहुंचे और उपायुक्त से मिलकर बातचीत रिकॉर्ड कर ली। दोपहर ढाई बजे पंजवानी लोकायुक्त पुलिस के पास पहुंचे और टेप सौंप दिया। दोपहर तीन बजे लोकायुक्त पुलिस ने प्रदीप कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। शाम 5 बजे लोकायुक्त पुलिस की टीम वाणिज्यिक कर विभाग के दफ्तर पहुंची और सिंह को कमल पंजवानी से एक पॉलीथिन में रखे दो लाख रुपए लेते रंगे हाथ धर दबोचा। उनके हाथ धुलाए तो रंग निकला। लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर बाद में जमानत पर छोड़ दिया।

पैकेट मैंने छुआ भी नहीं : सिंह
उपायुक्त श्री सिंह ने बताया कि हफ्ते भर पहले इन ट्रांसपोर्टर्स के कुछ ट्रकों पर करीब 8 लाख रुपए का जुर्माना किया गया था। ट्रांसपोर्टर्स ने विभाग की इस कार्रवाई के बदले ये षडयंत्र रचा है। सिंह ने बताया कि उन्हें तो ये भी नहीं मालूम था कि जो लोग मिलने आए थे, वे कौन हैं। आते ही उन लोगों ने मेरी टेबल पर एक पैकेट रख दिया। मैंने पैकेट छुआ भी नहीं।

दो साल पहले ही मिला था प्रमोशन
श्री सिंह इससे पहले जबलपुर, ग्वालियर, भिंड और सतना जिलों में असिस्टेंट कमिश्नर रहे हैं। जबलपुर से उनका तबादला भोपाल हुआ था। दो साल पहले वे पदोन्नत होकर डिप्टी कमिश्नर बने।

9 साल पहले भी पकड़े गए थे डिप्टी कमिश्नर

इससे पहले वाणिज्यिक कर के डिप्टी कमिश्नर ऋषभ कुमार जैन को लोकायुक्त पुलिस ने 14 जुलाई 2004 को दो हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 15 जुलाई की सुबह लोकायुक्त पुलिस की हिरासत में श्री जैन की मौत हो गई थी।

इस मामले में लोकायुक्त के तत्कालीन डीएसपी मोहकम सिंह नैन सहित चार पुलिसकर्मी प्रधान आरक्षक रामाशीष, आरक्षक बद्री निहाले और सिलवानुस तिर्की के खिलाफ कोहेफिजा पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था। राजधानी की एक अदालत ने पिछले महीने 8 फरवरी को इस बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाया, जिसमें डीएसपी मोहकम सिंह नैन, प्रधान आरक्षक रामाशीष, आरक्षक बद्री निहाले और सिलवानुस तिर्की को पांच-पांच साल की जेल और पांच-पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा हिरासत में मारपीट की धारा में एक साल की जेल और एक-एक हजार रुपए जुर्माना भी किया गया है।

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