मध्यप्रदेश शासन की नौकरी छोड़कर भाग रहे हैं डॉक्टर्स, अब तक 125

भोपाल। सरकारी नौकरी की लालसा में लोग संविदा नौकरियां, दैनिक वेतन भोगी यहां तक कि मध्याह्न भोजन बनाने की बिना रजिस्टर वाली नौकरियां तक कर रहे हैं। न जाने कितनी चप्पलें चटका रहे हैं, हाथ में रिश्वत लिए लम्बी लम्बी कतारों में खड़े हैं, परंतु यह सबकुछ है केवल तृतीय श्रेणी की नौकरियों तक। विशेषज्ञों के मामलें में मध्यप्रदेश कंगाल है।


पहले से ही यहां विषयों के विशेषज्ञों की कमी थी, अब तो डॉक्टर भी मध्यप्रदेश शासन की नौकरियां छोड़कर भाग रहे हैं।  पिछले पांच सालों में गांधी मेडिकल कॉलेज के 30 से ज्यादा डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं प्रदेश में यह संख्या 125 से भी ऊपर है।

प्रदेश के मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि उच्च शिक्षा के कॉलेजों में पे स्केल रिवीजन के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों का वेतन कम हो गया है और इसको लेकर चिकित्सक अब नौकरी छोड़ने पर आमादा हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज में ही तीन महीनों में चार डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है।

पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जीएमसी में डॉक्टरों के लगातार नौकरी छोड़ने से हालात और खराब हो गए हैं। इस पर एमटीए के अधिकारियों का कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से ऐसे हालात बन रहे हैं। सरकार ने जनवरी में कहा गया था कि उच्च शिक्षा में जो वेतन पद्धति है, उसी को लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि वे अगले सप्ताह से फिर विरोध प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाएंगे।

मिल रहा कम वेतन

एमटीए के अधिकारियों के मुताबिक उन्हें छठा वेतनमान लागू होने के बाद डिग्री कॉलेज और वेटरनरी कॉलेज के प्रोफेसरों से भी कम वेतन दिया जा रहा है। इसके साथ ही समयबद्ध पदोन्नति और नॉन पै्रक्टिस अलाउंस जैसी सुविधाएं भी उनके पद के अनुरूप नहीं हैं। उनका कहना है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अनुसार पदोन्नति पांच और चार वर्ष में होती है, लेकिन उन्हें 12 और आठ वर्ष में पदोन्नति मिलती है। वहीं नॉन प्रैक्टिस अलाउंस भी बग्रवाल कमेटी के अनुसार दी जाए।

जीएमसी के प्रोफेसर गए एम्स

गांधी मेडिकल कॉलेज के दो कंसल्टेंट अब एम्स में अपनी सेवाएं देंगे। इनका चयन हाल ही में दिल्ली में हुए दूसरे चरण के इंटरव्यू में हुआ था। पैथोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीलकमल कपूर और रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश मलिक ने एम्स के दूसरे चरण के इंटरव्यू दिए थे। इनका चयन एम्स में विभागाध्यक्ष के रूप में हो गया है। दोनों डॉक्टर संभवत: जून में एम्स ज्वाइन कर लेंगे। इसके पूर्व भी दो डॉक्टर एम्स में चयनित हो चुके हैं। इनमें एनाटॉमी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनमोहन पटेल और फिजियोलॉजी विभाग के डॉ. चौहान हैं। जानकारी के अनुसार एम्स ज्वाइन करने के लिए दोनों डॉक्टर जीएमसी से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेंगे।


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