हाई क्वालीफाइड आदिवासियों का एक गांव, जहां 10 प्रतिशत आबादी है आनजॉब

अनुराग चंदेरी@धरती के रंग। आदिवासी गांव शब्द आते ही आपके जहन में एक ऐसे गांव का चित्र उभर आता है ​जहां गंदगी है, बीमारियां हैं, अशिक्षा है, बेरोजगारी है और न जाने क्या क्या, परंतु एक आदिवासी गांव ऐसा भी है जहां सरकार ने एक स्कूल भी नहीं खोला, फिर भी पूरा का पूरा गांव क्वालीफाइड है। गांव की कुल आबादी का 10 प्रतिशत युवा सरकारी नौकरियों में हैं, वो भी इंजीनियर, टीचर और आरआई।

मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले की प्रसिद्ध तहसील चंदेरी से 8 किलोमीटर दूर ग्राम नारोन की विकास यात्रा हमें अचंभित कर देती है , सहरिया जनजाति के लोग इस गाँव में निवास करते हैं और जिस तेज़ी से आधुनिकता, उन्नति एवं शिक्षा के आयामों ने इनके जीवन में वदलाव किया है बह एक रोचक विषय है।

इस गाँव में लगभग 300 लोग निवास करते हैं तथा आधुनिक सभ्यता की जीवन शैली को इन लोगों ने जिस तरह स्वीकार किया है उससे यह नहीं लगता की 20 बर्ष पूर्व ये लोग पिछड़ेपन और अज्ञानता में कभी रहते होंगे. इस गाँव में शिक्षा के नाम पर महज एक प्राथमिक स्कूल है वह भी सरकारी अनुदान प्राप्त एक शिकक्षीय शाला है जो 1960 में प्रारंभ हुयी थी, लेकिन यहाँ के लोगों ने अपनी जिजीविषा एवं मेहनत के बल पर अपने गाँव को उच्च शिक्षित एवं अग्रणी बनाया है।

यहाँ के 30 से ज्यादा युवक एवं युवतियां सरकारी नौकरिया कर रहे हैं, इंजिनियर से लगा कर शिक्षक ,पटवारी , क्लर्क ,पोस्टमैन इत्यादि पदों पर ग्राम नारोन  के सहरिया आदिवासी कार्य करते हैं एवं अपनी भूमिका को हमारे सामने सिद्ध करते हैं.

जबकि दो दशक पहले इस ग्राम में कृषि , मजदूरी एवं लकड़ियाँ बेचने का कार्य प्रमुखता से किया जाता था . नारोन के लोगों ने अभावों का कभी आड़े नहीं आने दिया .इन्होंने  चंदेरी जाकर माध्मिक एवं उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा नौकरियां भी प्राप्त की . यह सहरिया ग्राम मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा शिक्षित ग्रामों में शीर्ष पर है।

शासन की और से इस ग्राम को कई योजनायें प्रदान की गई हैं . सीसीडी प्लान के अंतर्गत 25 लोगों को रहने की नयी कॉलोनी बनायी गई है जिसमे ये लोग इस तरह रह रहे हैं मानो हम किसी शहर की कोलोनी में निवास करते हों . इसके अलावा कई लोगों ने निजी व्यय पर भी अपने मकान बनाये हुए हैं जो इनकी विकास यात्रा को दर्शाता है . शासन द्वारा इनके लिए कई पैकेज बनाये जा रहे हैं और प्रमुख बात यह है की इस ग्राम के लोग सहयोगी हैं और अपने हित अनहित से परिचित हैं।

यही कारण रहा है की इस ग्राम के सहरिया लोगों ने एक अलग पहचान बनायी है . शिक्षा के क्षेत्र में आगे आने के कारण इन लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक स्तर ऊंचा हुआ है . नारोन  जाकर देखना एक सुखद अहसास है ,यहाँ की प्रगति हमें हौसला देती है तथा सोचने को मजबूर भी करती है की अभावों का रोना रो कर सिर्फ पीछे ही जाया जा सकता है आगे नहीं . ये सुन्दर पंक्तियाँ इन सहरिया जन जाति  के लोगों की आवाज को अभिव्यक्त करती है

अभावों का जंगल काट कर
सुविधाओं के खलिहान बनाये हैं
इरादे मजबूत हमारे इतने की
भूख के दलदल पर चल कर
इन्द्रधनुषी ख्वाब सजाये है
................अनुराग चंदेरी

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लेखक श्री अनुराग चंदेरी का परिचय

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शिक्षा - एम् . ए .( अंग्रेजी साहित्य ) बी .एड .
जन्म-15 अगस्त 1974 ,
कार्य -
 mranaalinee.blogspot.com ,personal blog साहित्यिक ब्लॉग, कविता लेखन , निबन्ध लेखन , समीक्षा लेखन एवं आधुनिक चित्र बनाना, कई ब्लोग्स  , बिभिन्न पत्रिकाओं एवं अखवारों में कवितायें एवं लेख  प्रकाशित, हाल ही में साहित्यिक पत्रिका गुंजन  द्वारा विशेषांक प्रकाशित .

संपर्क ---
साडा  कॉलोनी ,चंदेरी
जिला अशोकनगर एम् . पी .
मोबाइल -9425768744

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