अंतत: करना ही पड़ा बीके सिंह को सस्पेंड

भोपाल। भाजपा की सरपरस्ती में 100 करोड़ के आसामी बने आईएफएस बीके सिंह को अंतत: सस्पेंड करना ही पड़ा। सरकार ने पहले उन्हें ट्रांसफर देकर बचाने की कोशिश की थी, परंतु जब मीडिया ने जमकर थूथू की तो अंतत: सरकार को अपने कदम वापस लेने पड़े और बीके सिंह को आज दोपहर 12 बजे सस्पेंड कर दिया गया। 

सरकार पर आरोप लग रहे थे कि भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता का संरक्षण होने की वजह से सिंह को निलंबित नहीं किया जा रहा है। भारी आलोचना के बाद आज दोपहर साढ़े 12 बजे सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। उज्जैन में पदस्थ सिंह का गुरुवार को ही भोपाल में लघु वनोपज में कार्यपालन निदेशक पदस्थ किया गया था।


यह आरोप लगने के बाद कि अब तक कई आईएएस और अन्य अधिकारियों को छापों के बाद निलंबित किया गया लेकिन सिंह को क्यों नहीं? वन मंत्री सरताज सिंह ने इससे इंकार किया था कि बीके सिंह को उनका संरक्षण है।

सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार को अखबारों में जब निलंबित नहीं किए जाने की आलोचना भरे समाचार छपे तो सरकार को चिंता हुई। उच्च स्तर पर चर्चा के बाद सिंह को सस्पेंड करना पड़ा। गौरतलब है कि सिंह मूलत: उत्तरप्रदेश के जौनपुर मिर्जापुर के निवासी हैं। इस क्षेत्र के एक नेता भाजपा में उच्च पद पर हैं। वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि बीके सिंह इस बिना पर विभाग में रसूखदार अफसर के तौर पर जाने जाते थे।

सनद रहे कि बीके सिंह से तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान केबीनेट मंत्री बाबूलाल गौर एवं वनमंत्री सरताज सिंह से अपवित्र गठबंधन उजागर हो चुका है और शीघ्र ही उस वरिष्ठ भाजपाई के नाम का भी खुलासा होने वाला था जिसकी सरपरस्ती के चलते बीके सिंह 100 करोड़ के आसामी बने। 

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