कुम्भ 12 बरस में होता है,इलाहाबाद गंगा के किनारे है। गंगा के किनारे विश्व हिन्दू परिषद कल कोई रणनीति तय करे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह आज फिर से उस बात की भूमिका बना आयें हैं, कहीं फिर से मन्दिर बनाने की सौगंध खाने की नौबत आयें, तो संदर्भ की तरह उनकी बात भी प्रयोग में आ जाये।
वैसे चुनाव के दौरान वोट और उसका बंटवारा हर राजनीतिक दल की मजबूरी होता है| इस लोक लुभावन रीत में कभी कोई शंकर भगवान बन रहा है तो कोई झाँसी की रानी | ये बेचारे यह कह आयें तो कौन सा गुनाह कर आये, बाद में तो किसी को कभी कोई वादा याद रहा है , जो इस बार याद रहेगा | इन्हें याद दिलाने की जवाबदारी तो आपकी है |
भारतीय जनता पार्टी की मजबूरी विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है| इन दोनों संगठनों ने इस चुनाव के पहले राम मंदिर निर्माण की अपनी योजना पर चलना शुरू कर दिया है| एक इलहाबाद में संत सम्मेलन कर रहा है , तो दूसरे की योजना गाँव गाँव तक जाने की है|
राजनाथ सिंह कितनी ही बातें प्रोफेसर की तरह बताये जनता सिर्फ एक बात जानती है कि भाजपा वादा करेगी और अगर सरकार बना भी दी तो भी वादा दायें-बाएं हो जायेगा | भरोसे के लायक कोई बात कहता हो , ऐसा नही दिखता हैं | विश्व हिन्दू परिषद ने आज फिर पैंतरा बदला हैं अब वह राम मंदिर के लिए संसद से निर्णय चाहती है | भगवान के चित्र में अपना अक्स फिट कराना और ये वादे सब झूठे है , झूठे वादों का क्या |
