भाजपा : जरूरत है एक अदद चेहरे की

भारतीय जनता पार्टी अभी यह तय नहीं कर पा रही है, कि 2014 के चुनाव में किसका चेहरा आगे कर मतदाताओं के पास जाये |अटल जी बिस्तर पर हैं और आडवाणी नाराज़ चल रहे हैं | राजनाथ सिंह तो पिछले चुनाव में भी थे और बेचारे .....!विकल्प के रूप में आये नितिन गडकरी का आना और जाना कैसे और कहाँ से आये और कैसे गये किसी से नहीं छिपा नहीं है |

भाजपा ने चुनाव से पहले नितिन गडकरी  इसी कारण किनारे कर दिए गये | दिल्ली दरबार के कुछ खास दरबारी नितिन गडकरी को बंगारू लक्ष्मण नही तो कम से कम दिलीप सिंह जू देव बना देना चाहते हैं |

प्रश्न यह है कि इतने सारे नेता और को चेहरा नहीं | इसी कारण विश्व हिन्दू परिषद आज यह कहने का साहस कर रही है ,वह ७ फरवरी को अपना  फैसला भाजपा के बगैर कर देंगे | संघ परिवार भी विश्व हिन्दू परिषद के साथ प्रत्यक्ष में जायेगा परन्तु पीछे से हमेशा भाजपा की मदद करेगा | इस सन्दर्भ के साथ इस प्रश्न कस उत्तर खोजे तो समझ में आता है कि वहाँ कोई किसी को आगे नहीं आने देना चाहता है | न सुषमा , न जेटली  और न मोदी |

भारतीय मतदाता इस बार भी खंडित निर्णय देता है तो फिर देश कहाँ होगा ,गंभीर विषय है|एन डी ऐ के अन्य घटक मोदी को पसंद नही कर रहे हैं और कोई चेहरा तय नहीं हो पा रहा है | भाजपा की दूसरी पंक्ति के साथ घर लौटे नेता खड़े हैं | उन्हें अछुता माना जा रहा है | भाजपा को विज्ञापन देना चाहिए या संघ  परिवार के लोगों को देश हित में चिन्तन  बैठक बुलाना चाहिए नहीं तो देर  हो जाएगी |

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