मुनीमों के खाते और सरकारी मुगालते

राकेश दुबे@प्रतिदिन/ रेल बजट आ गया है आम बजट भी आ जायेगा| रेल तो रायबरेली चली गई| आम बजट के आसार भी पूत के  पांव की तरह दिख रहे हैं| कोई राहत आम आदमी को कहीं से मिलने की गुंजाईश नहीं दिखाई दे रही है| मुनीम सरकार को मुगालते में रखे है कि खजाना भर जायेगा| इसकी गुंजाईश कम दिखाई देती है, हाँ सेठानी की दुकान का दिवाला जरुर निकलता दिखाई दे रहा है| 2014 के चुनाव पर इन मुनीमों के भी खाते असर डालेंगे|

पवन बंसल तो उन राज्यों को कुछ ज्यादा दे सकते थे , जहाँ प्रतिपक्षी सरकारें हैं| अपने वणिक स्वभाव का परिचय देकर उन राज्यों को तो कुछ दिया ही नहीं,  किराये पर सरचार्ज की डंडी मारकर अपना गल्ला भरने की कोशिश की है| पवन बंसल हो पी चिदम्बरम पूरी ताकत लगा जरुर रहे हैं, फिर भी  वे देश में यूपीए के खिलाफ बनती हवा को रोकने का मौका खो रहे हैं| रेल  बजट पास करते समय कुछ राहत मिलने की उम्मीद है| दोनों मंत्रियों को समझ लेना चाहिए की देश रायबरेली और अमेठी के अलावा भी है|

पवन बंसल का कहना है कि वे बाद में भी कुछ करेंगे,जिससे रेल फायदे में आ जाये| पी चिदम्बरम भी अगर ऐसा ही सोच रहे हैं| तो सबको यह सोचना चाहिए कि सरकार के बजट जन कल्याण के लिए होते हैं मुनाफा कमाने के लिए नहीं| प्रजातंत्र में सरकार का काम व्यापार करना नहीं होता| दुर्भाग्य है इस सरकार ने हमेशा व्यापार किया है और उसमें भ्रष्टाचार किया है| सरकार का काम शासन है और शासन मुनीमों के सहारे नहीं होता है|

  • लेखक श्री राकेश दुबे प्रख्यात साहित्यकार एवं स्तंभकार है। 
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