भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि जब सरकारी स्कूलों के लिए नियम निर्धारित हैं तो प्राईवेट स्कूलों को मनमानी फीस वसूली की छूट क्यों दी गई है। उनके लिए नियामक क्यों नहीं बनाते।
यह याचिका नागरिक उपभो ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे की ओर से दायर की गई है। आवेदक का कहना है कि प्रदेश में कई प्राइवेट स्कूल राज्य सरकार की मान्यता और अनुमति के आधार पर संचालित हो रहे हैं। इन सभी स्कूलों द्वारा हर साल मनचाही फीस वसूली जाती है और इस फीस स्ट्र चर की निगरानी के लिए पूरे प्रदेश में कोई कमेटी ही नहीं है। आवेदक का कहना है कि निगरानी कमेटी के गठन को लेकर पूर्व में उन्होंने एक आवेदन प्रदेश के शिक्षा मंत्री के अलावा मु यमंत्री को भी सौंपा था। इसी तरह एक शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग को भी दी गई थी।
शिकायत पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने 29 मई 2009 को प्रदेश सरकार से सिफारिश की थी कि वो फीस को लेकर एक कमेटी का गठन करे। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने भी सरकार के कैबिनेट को पत्र लिखकर कमेटी गठित करने की प्रार्थना की थी। इन सबके के बाद भी पूरे प्रदेश में सिर्फ सरकारी स्कूलों के लिए नियम बनाए गए, लेकिन प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूलने के संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो अवैधानिक है। मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिव ता दिनेश उपाध्याय ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
इनके नाम जारी हुआ नोटिस
- मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव
- स्कूल शिक्षा सचिव
- कलेक्टर जबलपुर
- डीईओ जबलपुर
- माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल
- सीबीएसई
- क्राईस्ट चर्च हायर सेकेण्डरी स्कूल
- सेंटअलॉयसियस हायर सेकेण्डरी स्कूल
- सेंट जोसफ गल्र्स हायर सेकेण्डरी स्कूल
- सेंट गेब्रियल कॉन्वेन्ट स्कूल
- जॉय हायर सेकेण्डरी स्कूल
- डीपीएस हायर सेकेण्डरी स्कूल
- डीपीएस हायर सेकेण्डरी स्कूल
- रॉयल हैरिटेज स्कूल
- लिटिल वर्ल्ड हायर सेकेण्डरी स्कूल
- विस्डम हायर सेकेण्डरी स्कूल