मध्यप्रदेश सरकार ने मांगी केन्द्रीय कृषि यूनिवर्सिटी

भोपाल।  पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई ने आज नई दिल्ली में पशुपालन, डेयरी फेडरेशन एवं मछली पालन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में केन्द्र सरकार से केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश में स्थापित करने की माँग रखी। 

सम्मेलन में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार सहित विभिन्न राज्य के मंत्री उपस्थित थे। श्री विश्नोई ने कहा कि केन्द्र द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की पहल को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने खजुराहो के पास 500 एकड़ से अधिक भूमि उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है। उन्होंने कहा कि खजुराहो से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुन्देलखण्ड सभी क्षेत्र समान दूरी पर है तथा खजुराहो बुन्देलखण्ड का केन्द्र है।

अजय विश्नोई ने बताया कि दुग्ध उत्पादन में देश के मध्यप्रदेश का देश में सातवाँ स्थान है। विगत दो पंचवर्षीय योजनाओं में राष्ट्रीय गौ-भैंस वंशीय परियोजना के क्रियान्वयन से नस्ल सुधार के लक्ष्य प्राप्त किये गये। मध्यप्रदेश की पशु संख्या और वर्तमान उपलब्धियाँ अधिक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करने के लिये प्रेरित कर रही है। इस दृष्टि से केन्द्र सरकार को इसमें सहयोग करने की जरूरत है।

इसके लिये अच्छी योग्यता वाले कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है। कृत्रिम गर्भाधान के तहत अभी प्रजनन मात्र 20 प्रतिशत है, जिसे 35 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिये 3,600 नये कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र स्थापित करने होंगे। उन्होंने केन्द्र से 12 पंचवर्षीय योजना में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन देने के लिये विशेष कार्ययोजना स्वीकृत करने का अनुरोध किया।

श्री विश्नोई ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रजनन योग्य गौ-वंशीय संख्या एक करोड़ 21 लाख है, जो देश में दूसरे नम्बर पर है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान सीमेन सेन्टर के सुदृढ़ीकरण के साथ दो नये सीमेन सेन्टर और खोलने की आवश्यकता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इसके प्रस्ताव भी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को भेजे हैं, जिसे शीघ्र स्वीकृत किया जाना चाहिये। उन्होंने केन्द्र से प्रजनन योग्य गौ-वंशीय संख्या के अनुपात को ध्यान में रखते हुए बोर्ड द्वारा आयात किये जाने वाले सांड एवं भ्रूण को मध्यप्रदेश को भी आवंटित करने की माँग रखी। साथ ही ब्रॉजील से आयात होने वाले गिर नस्ल के सीमेन को भी मध्यप्रदेश को उपलब्ध करवाने का आग्रह किया।

श्री विश्नोई ने महू के बॉयोलॉजिकल प्रोडक्शन लेब के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार के लिये एस्काड योजना में आवश्यक धनराशि भी उपलब्ध करवाने की माँग केन्द्र सरकार से की। उन्होंने कहा कि फीड और फॉडर डेव्हलपमेंट प्रोग्राम में मध्यप्रदेश को और हिस्सेदारी देने के साथ किसानों को ट्रेनिंग देने का कार्यक्रम भी शामिल किया जाना चाहिये।

मध्यप्रदेश में मछली पालन के लिये संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए श्री अजय विश्नोई ने बताया कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की संयुक्त सीमा में बने राजघाट बाँध का प्रबंधन बेतवा रिवर बोर्ड से प्रदेश को मिलने के पहले साल में ही 51 प्रतिशत लाभ अर्जित किया गया है। अभी 9 और ऐसे तालाब है जो मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त सीमा में है। इनमें से 4 तालाब का शत-प्रतिशत डूब क्षेत्र मध्यप्रदेश में है।

इन तालाबों के संयुक्त प्रबंधन से मछलीपालन की बेहतर संभावना है। इसके लिये दोनों राज्य की संयुक्त बैठक बुलाकर चल रहे विवाद को शीघ्र समाप्त किया जा सकता है। श्री विश्नोई ने नेशनल लाइव स्टॉक पॉलिसी 2012 के संबंध में भी अपने सुझाव दिये। बैठक का आयोजन नई दिल्ली स्थित एनएएससी पूसा में किया गया था।


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