अनूपपुर में 88 लाख का घोटाला, पहले कराई FIR, अब नहीं करा रहे बयान

अनूपपुर(राजेश शुक्ला)। नगरपालिका परिषद अनूपपुर में हुई 88 लाख रूपये की वित्तीय अनियमितता के मामले में शहरी विकास अभिकरण के प्रभारी परियोजना अधिकारी अजय श्रीवास्तव की शिकायत के बाद कोतवाली अनूपपुर में नगर पालिका के कर्मचारियों, अधिकारियों के विरूद्ध अपराध क्रमांक ६८/१३, धारा ४०९,४२०, ४६७, ४६८, ४७१, ३४ के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।

दिये गये शिकायती पत्र में किसी आरोपी का नाम न होने के कारण पुलिस ने जांच अधिकारियों को पत्र लिखकर समस्त रिकार्ड उपलब्ध कराने एवं बयान दर्ज कराने को कहा है, लेकिन जांच अधिकारियों पर अब सहयोग न करने का आरोप लग रहा है।

यह है मामला-मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार वर्ष २००९-१० में इस आशय की शिकायत कलेक्टर जे.के. जैन को की गई कि नगर पालिका अनूपपुर में शासकीय राशि का जमकर दुरूपयोग किया गया और निर्माण कार्यो सहित सामग्री खरीदी में लाखों रूपये की वित्तीय अनियमितता की  गई है। आरोप लगाया गया कि नगर में पेयजल, तालाब सौंन्दर्यीकरण, सुलभ काम्प्लेक्स, सीसी रोड निर्माण, पैच वर्क, फायर ब्रिगेड खरीदी, वाहनों के लिए डीजल खरीदी, बाजार बैठकी नीलामी, कचरा गाड़ी खरीदी, बस स्टैण्ड में शेड निर्माण, पाईप लाईन खरीदी, ग्रेवल पैक सहित अन्य मामलों में धांधली की गई।

कलेक्टर ने कराई जांच-मामले की शिकायत मिलने पर कलेक्टर जे.के. जैन ने एसडीएम गजेन्द्र सिंह नागेश की अगुवाई में उप संचालक पंचायत एवं सामाजिक कल्याण अधिकारी केपी त्रिपाठी, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी आर.एम. सिंह, प्रबंधक जिला उद्योग एवं डूडा प्रभारी अजय अजय श्रीवास्तव, सहायक यंत्री पीएचई के.के. गुप्ता को आरोपों की सत्यता जांचने का जिम्मा सौंपा। प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच अधिकारियों ने जांच उपरांत आरोपों की पुष्टि करते हुए भुगतान में वित्तीय अनियमितता की बात स्वीकार की। इसे लेकर डूडा प्रभारी अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने कोतवाली अनूपपुर में शिकायत दर्ज कराई।
आरोपियों के नाम नहीं की शिकायत-नगर निरीक्षक एम.के. सिंह से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता अजय श्रीवास्तव ने अपनी मूल शिकायत में किसी भी आरोपी अधिकारी, कर्मचारी या जनप्रतिनिधि का नाम स्पष्ट नहीं किया गया है। तथापि शिकायत के साथ २६ पेज की जांच रिपोर्ट संलग्न होने की अपुष्ट सूचना भी है।
जांच अधिकारी नहीं कर रहे सहयोग-शिकायत में आरोपियों के नाम न होने के कारण पुलिस की मशक्कत बढ़ गई है और इसे लेकर कोतवाली पुलिस ने सभी जांच अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच हेतु रिकार्ड उपलब्ध कराने एवं बयान दर्ज कराने के लिए कहा है लेकिन अधिकारियों द्वारा न तो जांच हेतु रिकार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही बयान दर्ज कराने में मदद की जा रही है।
इन पर लगे हैं आरोप-पुलिस एवं अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच दल ने प्रथम दृष्टया नगर पालिका अध्यक्ष के साथ मुख्य नगर पालिका अधिकारी आर.के. सिंह, उपयंत्री राकेश तिवारी, स्वास्थ्य निरीक्षक डी.एन. मिश्रा, लेखापाल अयोध्या तिवारी, उप राजस्व अधिकारी ब्रम्हचारी तिवारी के विरूद्ध शिकायत में सत्यता पाई है, जिसके पश्चात कोतवाली पुलिस ने धारा ४२०, ४०९, ४६७, ४६८, ४७१, ३४ का मामला दर्ज कर लिया है।
सूक्ष्म जांच की जरूरत-पुलिस प्रकरण दर्ज होने के बाद अधिकांश आरोपी अधिकारियों के फोन बंद हो गये और उनसे सम्पर्क नहीं किया जा सका। इसके साथ ही एक रोचक तथ्य यह भी है कि डूडा प्रभारी अजय श्रीवास्तव ने न तो मोबाइल रिसीव करना आवश्यक समझा और न ही मीडिया से बात करना। कलेक्टर जे.के. जैन के जिले से बाहर होने के कारण उनसे सम्पर्क नहीं किया जा सका। तथापि एसडीएम गजेन्द्र सिंह नागेश ने मामले की पुष्टि करते हुए पुलिस प्रकरण पंजीबद्ध होने, कार्यवाही होने की बात कही है।
लपेटे में ठेकेदार, सप्लायर, पार्षद-पुलिस प्रकरण दर्ज होने के बाद मामले से जुड़े विभागीय एवं अन्य सूत्रों के अनुसार यद्यपि जांच दल ने शिकायतों की सत्यता की पुष्टि की है तथापि मामले की सूक्ष्म और निष्पक्ष जांच अपेक्षित है। मसलन यदि कार्य एवं सामग्री की आपूर्ति फर्जी ढंग से की गई और उसका भुगतान किया गया तो इसमें सप्लायर, ठेकेदार, पार्षदों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए और यदि यह निष्पक्ष ढंग से हो पाता है, तो आरोपियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।

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