झाबुआ में ह्यूमन ट्रेफिकिंग गैंग एक्टिव, पांच साल में 300 बालिकाएं गायब

भोपाल। मध्यप्रदेश का झाबुआ जिला मानव तस्करों का गढ़ बन गया है। यहां से पिछले पांच साल में 300 बालिकाएं गायब हुईं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि शत-प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले झाबुआ जिले की बालिकाओं पर भाजपा राज में कहर टूट पड़ा है। प्रशासन और पुलिस की उदासीनता तथा कमजोरी के कारण मानव तस्कर गिरोह और अपराधी तत्व जिले में व्यापक स्तर पर सक्रिय हैं। दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है।

वर्ष 2008 से अब तक इस जिले में 300 मासूम बालिकाएं लापता हैं, जिनमें अधिकांश आदिवासी परिवारों की हैं। आपने कहा है कि लापता बालिकाओं को खोजकर संबंधित परिवारों को सौंपने में पुलिस द्वारा बरती जा रही उदासीनता का ही दुष्परिणाम है कि अब तक 300 में से 243 बालिकाएं ही बरामद हो पायी हैं। शेष 57 बालिकाएं इस समय कहां कौन सी यातनाएं भोग रही हैं, कहा नहीं जा सकता।

श्री भूरिया ने कहा है कि पिछले पांच वर्षों में झाबुआ जिले से कुल 388 बच्चे हैं, जिनमें से अब तक 326 की ही बरामदगी हुई है। आपने कहा है कि 14 फरवरी को प्रियंका परमार नामक एक प्रतिभाशाली बालिका गायब की गई थी, जिसकी लाश झाबुआ-मेघनगर मार्ग पर अनास नदी में मिली। परिवार वालों का आरोप है कि बालिका की जघन्य हत्या की गई है, किंतु पुलिस हत्यारों को गिरफ्त में लेने में कोई रूचि नहीं ले रही है। झाबुआ के पालीटेक्निक कालेज परिसर में रहने वाले भावसिंह की 15 वर्षीय बेटी दो फरवरी से लापता है। 19 दिन बीत जाने के पश्चात भी बालिका का अभी तक कोई पता नहीं लगा है।

श्री भूरिया ने डीजीपी से झाबुआ जिले में मानव तस्करी और बालिकाओं के शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है, क्योंकि जिले के परिवारों में शनैः शनैः असुरक्षा की भावना बढ़ रही है और बालिकाओं को घर के बाहर निकलना कठिन होता जा रहा है।  

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