भोपाल। पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख सचिव ने अंतत: डिपार्टमेंट के अधिकारियों की सुनवाई कर ही ली और मध्यप्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि वो उनके विभाग के जिलाध्यक्षों को महीने में दो दिन से ज्यादा मीटिंग के लिए न बुलाएं। उन्हें बहुत से काम करने होते हैं। आपकी मीटिंगों को कारण डिपार्टमेंट की हालत पतली है।
शब्द यह नहीं हैं, भावार्थ यही है। वो भी इसलिए, क्योंकि पिछले दिनों इनके माननीय मंत्रीजी ने तीखे तेवर अपना लिए थे। उन्होंने टारगेट सेट कर दिए हैं कि यदि पीडब्ल्यूडी विभाग की कमियों के कारण वोटर्स ने सवाल किए तो अधिकारियों की खैर नहीं।
सरकारी शब्दों में इस निर्देश को पढ़ना है तो आगे बढ़िये।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव श्री के.के. सिंह ने सभी कलेक्टर को पत्र के माध्यम से इसकी सूचना दी है। लोक निर्माण विभाग में भवन एवं सड़क निर्माण कार्यों की अधिकता और उन्हें समय पर गुणवत्तापूर्वक पूर्ण करने के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। पत्र में उल्लेख है कि सभी कलेक्टर जिला-स्तर पर बैठकों में कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग को समय-सीमा प्रकरणों की बैठक सहित अन्य बैठकों में सप्ताह में सिर्फ सोमवार एवं मंगलवार केवल दो दिन ही बुलाये। इससे शेष दिन में वे विभागीय कार्य और निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर सकेंगे। प्रत्येक कार्यपालन यंत्री को सप्ताह में चार दिन अपने कार्यक्षेत्र का दौरा, कार्यों का सतत निरीक्षण और कार्यों को समय पर गुणवत्तापूर्वक पूर्ण करने के संबंध में विभाग द्वारा पृथक से निर्देश जारी किये गये हैं।