सतना। रविवार की दोपहर मैहर क्षेत्र स्थिति रिलायंस सीमेंट फैक्ट्री परिसर में काम के दौरान हुई एक श्रमिक की मौत ने पुन: यह सवाल खड़ा कर दिया है कि, अपनी हाड़-तोड़ मेहनत से सीमेंट उत्पादक कंपनियों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले श्रमिकों की सुरक्षा की गारंटी आखिर कौन लेगा , प्रशासन या फैक्ट्री प्रबंधन।
बहरहाल परिजनों ने श्रमिक की मौत के मामले में प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अपनी मांगे गिनाई और मांगे पूरी न होने तक पीएम न कराने का निर्णय लिया है , जिसके चलते देर शाम तक मृतक का पीएम नहीं हो सका था। हालांकि परिजनों को एसडीएम अभिजीत अग्रवाल, थाना प्रभारी व्हीएस धुर्वे, तहसीलदार बीके मिश्रा समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी समझाइश देने जुटे रहे, लेकिन परिजन दस लाख रूपए और नौकरी की मांग पर अड़े हुए हैं।
सुबह लगभग 11 बजे रिलायन्स की निर्माणाधीन सीमेंट फैक्ट्री में काम चल रहा था जहां अजवाइन वार्ड क्र-01 बैरागल निवासी 35 वर्षीय देबीदीन पिता रामाधार पटेल अपने श्रमिक साथी मतवारा निवासी 27 वर्षीय सुभाष पटेल पिता कौशल पटेल के साथ मटेरियल सिफ्टिंग का काम कर रहा था। मृतक के चाचा देवदत्त पटेल ने बताया कि दोनो पचास फिट ऊपर असुरक्षित तरीके से माल सिप्टिंग के लिए चढ़े हुये थे और माल सिफ्ट कर रहे थे। इसी दौरान क्रेन से ऊपर माल भेजा गया जो भारी होने के कारण नहीं संभाला जा सका और सीधे वह देबीदीन की खोपड़ी से टकरा गया । देवीदीन के सिर पर गिरे सामान ने उसकी खोपड़ी तोड़ दी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई , जबकि शुभाष भी इस घटना में गंभीर रूप से घायल होकर बिरला अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहा है।
रिलायंस फैक्ट्री परिसर में प्रबंधन की लापरवाही के चलते अपनी जान गवाने वाले देबीदीन से रिलायंस फैक्ट्री परिसर के भीतर पेट्रान कम्पनी काम ले रही थी। काम कंपनी के पेटी ठेकेदार साहबलाल पटेल द्वारा कराया या जा रहा था। काम के दौरान न तो पेटी ठेकेदार ने ही कोई सुरक्षा मुहैया कराई और न ही प्रबंधन ने। जानकारों का मानना है कि यदि हेलमेट व अन्य सुरक्षा उपकरण यदि देबीदीन को मिले होते तो संभवत: उसके परिजनों को उसकी मौत का शोक नहीं मनाना पड़ता।