भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने बीते रोज हुई महापंचायत को एक बार फिर भाजपा का कार्यक्रम बताते हुए कहा कि इसमें कांग्रेसी विचारधारा के पंचायत प्रतिनिधियों को बुलाया ही नहीं गया। यह पूरी तरह से सरकारी खर्चे पर किया गया भाजपा का आयोजन था।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा जम्बूरी मैदान पर चुनावी तमाशों के क्रम में कल महापंचायत के नाम से आयोजित हुए पंचायत पदाधिकारियों के सम्मेलन को विधानसभा चुनाव में वोट बटोरने की कवायद बताते हुए कहा है कि सुबह 10 बजे से शुरू हुए पूरे आयोजन पर हर प्रकार की अव्यवस्था हावी रही।
प्रथम तो कार्यक्रम में जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों के सभी सदस्यों को नहीं बुलाया गया। अधिकतर भाजपा विचारधारा के पदाधिकारियों को ही कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला। पंचायत पदाधिकारियों को जैसे-तैसे भोपाल में बुलवा तो लिया गया, लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधि के अनुरूप उनके लिए भोपाल में न तो ठहरने और निस्तार की व्यवस्था की गई तथा न ही समय पर भोजन-पानी का इंतजाम हुआ।
नतीजन बड़ी संख्या में पदाधिकारियों को अपने रिश्तेदारों के यहां अथवा अन्यत्र सुविधाएं जुटाने के लिए मजबूर होना पड़ा। आपने कहा है कि मर्यादा योजना का ढि़ंढ़ोरा पीटने वाली सरकार जम्बूरी मैदान पर पुरूषों के लिए न सही, महिलाओं के लिए भी निस्तार की कोई सम्मानजनक व्यवस्था न कर सकी।
उन्होंने कहा है कि शिवराजसिंह केवल ‘घोषणावीर’ मुख्य मंत्री हैं। भाजपा की सरकार पिछले नौ वर्षों से पंचायत पदाधिकारियों की उपेक्षा कर रही थी। अब जब विधान सभा चुनाव सिर पर है तो वोटों को प्रभावित करने के लिए मानदेय बढ़ाने की घोषणा करने की सूझी है, लेकिन मुख्य मंत्री भ्रम में न रहें, पंचायत पदाधिकारी जानते हैं कि यह बढ़ोतरी यूपीए सरकार से मिले पैसों से ही की गई है। श्री भूरिया ने कहा है कि इस कवायद का भाजपा को चुनाव में कोई फायदा नहीं मिलेगा।
श्री भूरिया ने कहा है कि ग्रामीण अंचलों के इन निर्वाचित पदाधिकारियों के अपमान का सिलसिला यहीं नहीं थमा। इन लोगों को कड़कड़ाती ठंड में बिना चाय-नाश्ते के सुबह 10 बजे से ही कार्यक्रम स्थल पर बैठा दिया गया था, जबकि मुख्य मंत्री और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री दोपहर बाद करीब सवा दो बजे, अर्थात सवा चार घंटे इंतजार करवाकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। आयोजकांे को जब यह मालूम था कि मुख्य मंत्री एवं विभागीय मंत्री दोपहर बाद दो बजे के आस-पास कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेंगे तो इस तरह इन भूखे-प्यासे सरकारी मेहमानों से चार घंटे से अधिक समय तक इंतजार कराना यह साबित करता है कि जिला, जनपद और ग्राम पंचायतांे के पदाधिकारियों के प्रति मुख्य मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा भाजपा सरकार के मन में सम्मान की कोई भावना नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि ये पंचायत पदाधिकारी कार्यक्रम के दौरान स्वयं को अपमानित और उपेक्षित महसूस कर रहे थे कि सरकार ने भोपाल बुलवाकर उनका मजाक उड़ाया है। दूर-दराज से आये इनमें से सैकड़ों के मन में यह बात थी कि उन्हें भी मुख्य मंत्री की उपस्थिति में बोलने का मौका मिलेगा, लेकिन यह मौका भाजपा विचारधारा के चंद व्यक्तियों को ही मिला और उन्होंने पंचायतों की समस्याओं की चर्चा करने की बजाय मुख्य मंत्री का जी भर कर गुणगान किया। आपने कहा है कि जिन लोगों ने करीब छह घंटे चली कथित महापंचायत का पूरा नजारा देखा है, वे मान रहे हैं कि कल का यह कार्यक्रम कोई सम्मानजनक सरकारी कार्यक्रम न होकर एक ‘‘खुली जेल’’ था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा है कि यह चुनावी जमावड़ा दरअसल अपमान की बुनियाद पर ही खड़ा था। मंच पर जो मुख्य बैनर लगाया गया था, उसमें मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चैहान और विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव का बड़ा सा फोटो तो था, लेकिन विभाग के आदिवासी राज्य मंत्री देवसिंह सैयाम का फोटो बैनर से नदारद था। जब जिलों से आये आदिवासी प्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया, तब गलती को छिपाने के लिए राज्य मंत्री का फोटो अलग से उस पर चिपका दिया गया। खाना-पानी और निस्तार को लेकर अव्यवस्था के खिलाफ जमकर नारेबाजी होने लगी तो पुलिस ने मीडिया को ऐसे दृश्यों का कवरेज कने से जबरन रोक दिया। परिणामस्वरूप मीडिया कर्मियों और पुलिस वालों के बीच कई बार विवाद भी हुआ।