जबलपुर। शहर के बिल्डर गणेश यादव के खिलाफ बलात्कार के मामले में चालान पेश करने की इजाजत हाईकोर्ट ने मंगलवार को जबलपुर पुलिस को दे दी है। जस्टिस राजेन्द्र मेनन की एकलपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दिए गए बयान के आधार पर पुलिस को यह स्वतंत्रता दी। अदालत ने पीडित युवती की याचिका पर अगली सुनवाई फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की है।
गौरतलब है कि एक युवती ने यह याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि बिल्डर गणेश यादव ने बरेला में उसके साथ बलात्कार किया और शिकायत के बाद भी उसकी एफआईआर लिखने में हीलाहवाली की गई। आखिरकार पुलिस ने 25 फरवरी 2011 को एफआईआर दर्ज की। इसके बाद याचिकाकर्ता के निवास पर कुछ लोगों ने फायरिंग भी की, जिसकी शिकायत 29 मार्च 2011 को की गई। बलात्कार के मामले में लगातार मिल रही प्रताडऩा से तंग आकर याचिकाकर्ता ने 6 मई 2011 को भारत के राष्ट्रपति, मध्य प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मानव अधिकार आयोग को शिकायतें दी थीं। युवती का यह भी आरोप था कि चूंकि गणेश यादव के संबंध एडीजीपी एमआर कृष्णा से थे, इसलिए उन्होंने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंपने का आदेश जारी कर दिया।
आवेदक का आरोप था कि ऐसा करने के पीछे मंशा यही थी कि पुलिस द्वारा एकत्रित किए गए सबूतों को नष्ट करके गणेश को फायदा पहुंचाया जा सके। हाईकोर्ट ने पूर्व में मामले के दस्तावेज सीआईडी को सौंपने पर रोक लगा दी थी।
पीडि़त युवती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे, अधिवक्ता शशांक शेखर व स्वप्निल नावलेकर ने अपना पक्ष रखा, जबकि अनावेदक बिल्डर की ओर से अधिवक्ता सुमित रघुवंशी ने अदालत से प्रार्थना की कि उन्हें पक्ष रखने के लिये दो सप्ताह की मोहलत दी जाए। वहीं राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने अदालत को बताया कि इस मामले की जांच पूरी हो गई और संबंधित थाना पुलिस चालान पेश करने भी तैयार है।