भोपाल। कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने शिवराज सिंह चौहान की उस घोषणा पर सवाल उठाए हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि सभी अवैध कालोनियों को वैध कर दिया जाएगा। मानक अग्रवाल ने कहा कि चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए सीएम को यह सब सूझ रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा कल इंदौर में अवैध कालोनियों को वैध करने का जो आश्वासन दिया गया है, उस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि शिवराज सिंह को प्रदेश के मुख्य मंत्री के रूप में काम करते हुए सात वर्ष से अधिक का समय गुजर चुका है, लेकिन प्रदेश में फैली अवैध कालोनियों को वैध करने की उन्होंने कभी चिंता नहीं की, जबकि उसके लिए लगातार मांग उठती रही है।
अब आनन-फानन में प्रदेश की सभी अवैध कालोनियों के नियमितिकरण के बारे में मुख्य मंत्री ने जो आश्वासन दिया है, उसके पीछे वास्तव में इन कालोनियों के गरीब बाशिंदों की छत की चिंता काम नहीं कर रही है, बल्कि वह तो आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा के लिए वोट बैंक की जुगाड़ ही है। सवाल यह है कि यदि इस आश्वासन के पीछे चुनावी चिंता नहीं है, तो भाजपा की सरकार इन अभावग्रस्त कालोनियों के वासियों की पीड़ाओं की तरफ से पिछले नौ साल से आंखें मींचे क्यों बैठी थी ? क्या हजारों की संख्या में ये अवैध कालोनियां अचानक बन गई हैं ?
आपने कहा है कि अवैध कालोनियों को वैध करने के इस आश्वासन में भाजपा सरकार की कथित संवेदनशीलता प्रचारित की जा रही है, लेकिन दरअसल उसमें संवेदनशीलता तो रंच मात्र नहीं है। यह तो वोट के गुणाभाग का हिस्सा मात्र है और अंततः अन्य छल-प्रपंचों की तरह ही एक बड़ा छल-प्रपंच ही सिद्ध होगा। कालोनियों के नियमितिकरण के नाम पर गुमराह करके कुछ महीने बाद चुनाव के बाद गरीबों के हाथ पछतावे के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगेगा।
श्री अग्रवाल ने कहा है कि भाजपा सरकार के हर निर्णय के पीछे एक गुपत एजेण्डा जरूर छिपा रहता है। शिवराजसिंह सरकार का शायद ही कोई ऐसा फैसला अथवा आश्वासन रहा हो, जिसके पीछे भाजपा का कोई बड़ा राजनीतिक हित न रहा हो।
भाजपा को अगले विधान सभा चुनाव में अपनी जमीन खिसकती दिखाई दे रही है। इस कारण वह अलग-अलग वर्गों को आश्वासन के झुनझुने पकड़ाकर उनके मूल्यवान वोट पाने की जुगाड़ में लगी हुई है। अवैध कालोनियों के निवासियों को दिया गया यह आश्वासन इसी जुगाड़ का एक हिस्सा है। आपने कहा है कि अवैध कालोनियों में रहने वाले परिवार सुख-सुविधा और सम्मानजनक जिंदगी जी सकें, उसके लिए कालोनी में स्कूल, अस्पताल, खेल मैदान, बगीचा एवं अन्य प्राथमिक नागरिक सुविधाएं होना आवश्यक है।
सब जानते हैं कि इन अवैध कालोनियों में इन सबका भारी अभाव है। अधिकतर कालोनियां गंदी बस्ती के रूप में नर्क बनी हुई है। ऐसी दशा में चुनावी रणनीति के तहत आधी-अधूरी कालोनियों का नियमितीकरण गरीबों के साथ बड़ा धोखा साबित होगा। नियमितिकरण के नाम पर कालोनीवासियों के वोट तो कबाड़ लिये जाएंगे, किंतु कालोनियां अपनी मूलभूत कमियों पर ज्यों की त्यों आंसू बहाती रह जाएंगी। तब गरीबांे को पछतावा होगा कि भाजपा की सरकार ने उनको ठग लिया है।
कांगे्रस के मीडिया प्रमुख ने आगे कहा है कि यह मान लेना कि चुनाव पूर्व के चंद महीनों में अवैध कालोनियों में सारी मूलभूत और नागरिक सुविधाएं जुटा दी जाएंगी, दिवा स्वप्न के सिवाय कुछ नहीं है। जो सरकार नौ साल में इन कालोनियों को नर्क से मुक्ति न दिला सकी, वह अगले नौ महीने में यह सब कैसे कर पाएगी।
आपने कहा है कि यदि इस आश्वासन के पीछे छिपी भाजपा सरकार की चालाकी की तह में जाने का प्रयास किया जाए, तो पता लगेगा कि यह आश्वासन सरकार के चहेते बिल्डरों की मदद करने का एक उपक्रम है। कालोनियों के नियमितीकरण के बाद बिल्डरों की प्रस्ताविक पाॅश कालोनियों में बेघर गरीबों के लिए भूखंड सुरक्षित रखने की मांग चुनाव के दिनों में ठंड पड़ जाएगी और बिल्डर्स ‘‘सरकार की कृपा’’ से आसानी से महंगी कालोनियां बसा लेंगे। गरीबों को भूखंड देने की बाध्यता उनके रास्ते की बड़ी बाधा बनी हुई है।