
भोपाल। उपदेश अवस्थी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मध्यप्रदेश का रिश्ता शायद ठीक नहीं है। अभी पति पत्नि के संबंधों को सौदा बताने वाले बयान पर विवाद थमा नहीं था कि फेसबुक पर एक और फोटो शेयर हो गया। इसमें महिला उनके पैर धुला रही है। सवाल किया जा रहा है कि क्या ऐसे ही महिलाओं का सम्मान करता है आरएसएस।
कहते हैं संघ का स्वयंसेवक भी संघ का चलता फिरता विजिटिंग कार्ड होता है। लोग उसे देखकर अंदाज लगाते हैं कि संघ कैसा होगा। संघ में स्वयं सेवक को आचरण की शिक्षा दी जाती है। देश भक्ति का पाठ पढ़ाया जाता है। भारत को माता का दर्जा दिया जाता है। उसकी वंदना की जाती है, परंतु ये क्या उसी संघ के प्रमुख मोहन भागवत महिलाओं से अपने पैर धुलवा रहे हैं।
इस महान भारत के उत्तर में महिलाओं को आज भी बड़ा सम्मान दिया जाता है। कोई भी पुरुष स्त्री वर्ग को अपने पैरों को हाथ तक नहीं लगाने देता। पत्नि के अलावा ये दायित्व उत्तर भारत में किसी को नहीं दिया गया।
मोहन भागवत के सहयोगी कह सकते हैं कि ये चित्र दक्षिण भारत का है वहां महिलाएं पुरुषों की चरण वंदना भी करतीं हैं, परंतु मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि श्री भागवत, दक्षिण भारत या महाराष्ट्र का प्रतिनिधत्व नहीं करते।
वो पूरे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। वो महिला जो उनके पैर धुलवा रही है, उनसे कम उम्र की है और साथ में जो युवती खड़ी है। सभ्य समाज में उसे कन्या कहते हैं। कन्या अर्थात मॉ दुर्गा की तरह पूज्य। उत्तर भारत में बेटियों के पैर पखारे जाते हैं। बेटियों से पैर पखरवाए नहीं जाते। ऐसा कृत्य हिन्दु धर्मानुसार पाप कहलाता है।
ऐसे चित्र प्रदर्शित होने के बाद कम से कम उत्तर भारत में उन्हें सम्मान दिया जाना मुश्किल होगा।