भोपाल। जब मध्यप्रदेश पुलिस ने मदद नहीं तो गांववाले खुद ही निकल पड़े धोखेबाज की तलाश में। वो रविवार को आगरा गए और धोखेबाज कंपनी संचालक को ढूंढ निकाला। हंगामा बरपाया, जुलूस निकाला और बाद में उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया।
मूलत: भरतपुर के बुढ़ैरा उच्चैन निवासी राजकुमार जो आगरा में छिपा हुआ था ने करीब चार साल पहले गणेशा ब्रीडिंग एंड पशुपालन कंपनी खोली। गांवों में सेमिनार कर बकरी पालन से संबंधित योजनाएं समझाई। इसमें साढ़े तीन साल में रुपये दुगुने करने की योजना भी शामिल थी। कंपनी ने मध्यप्रदेश के छतरपुर के आसपास के करीब दर्जन भर लोगों से वर्ष 2009 में 17 लाख रुपये जमा किए। साढ़े तीन साल बाद इनके एवज में 34 लाख रुपये देने थे। इससे पहले ही कंपनी के लोग लापता हो गए। पैसे जमा करने वाले कुछ लोग कंपनी संचालक के ढाकरान चौराहा स्थित घर तक आ चुके थे।
इसलिए शनिवार को सभी मिलकर अचानक सुबह ही उसके घर पहुंच गए। उसके बाद में उन्होंने राजकुमार, उसके भाई और पत्नी को पकड़ लिया। काफी देर तक हंगामे के बाद वे उन्हें लेकर थाना नाई की मंडी पहुंचे और थाने में तहरीर दी है। थाने पर पहुंचे लोगों में से एक हीरा बाई का कहना था कि पति की मौत के बाद उसने अपना सवा एकड़ खेत बेच कर ढाई लाख रुपये जमा किए थे। इनसे उन्होंने अपनी बेटियों की शादी करने का सपना संजोया था, लेकिन अब पैसे न मिलने से उनके सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। कन्हैयालाल अहिरवार, पच्चूलाल, हीरालाल, संतोष आदि भी शामिल थे। एसओ नाई की मंडी यतींद्र शर्मा ने बताया कि छतरपुर के लोगों ने तहरीर दी है। जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
स्पेशल ऑफर से फंसाए लोग
शातिरों ने लोगों को अपने जाल में फंसाने को स्पेशल ऑफर भी दिए। उन्होंने पंद्रह दिन में 17400 रुपए जमा करने वाले लोगों को साढ़े तीन साल बाद एक लाख रुपए देने की योजना भी बताई। इससे उनके एकाउंट में लगातार पैसे जमा होते गए और ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई।