भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आज जारी बयान में कहा है कि फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी और रवीना टंडन को म.प्र. की यात्रा के दौरान बदहाल सड़कों से हुई परेशानियों के लिए तो राज्य सरकार ने तुरत-फुरत माफी मांगकर अपनी शर्मिंदगी छिपा ली, किंतु अब एक बड़ा सवाल खड़ा है कि प्रदेश की सड़कों की बदहाली से लगातार रूबरू हो रही प्रदेश की जनता से शिवराजसिंह की विज्ञापनजीवी आत्ममुग्ध सरकार कब माफी मांगेगी।
सड़कों की दुर्दशा के मामले में सरकार की असली जवाबदेही तो प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के प्रति है। इसलिए सरकार को अब बिना देर किये प्रदेश की जनता से माफी मांगकर कबूल करना चाहिए कि टैक्स के रूप में वसूल की गई अरबों की धनराशि को सड़कों के निर्माण और रखरखाव के नाम पर उसने भाजपा के चहेते ठेकेदारों की जेबों के हवाले कर दिया है।
भूरिया ने कहा है कि मुख्य मंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री को अब ठीक से समझ लेना चाहिए कि एक जनवरी 2013 से ‘‘जनता की बारी का वर्ष’’ प्रारंभ हो चुका है। भाजपा की नौ साल की सरकार का कोई भी ‘‘स्याह-सफेद’’ जनता से छिपा नहीं है। वह आने वाले दिनों में भाजपा सरकार से एक-एक पैसे का पूरा हिसाब लेगी।
श्री भूरिया ने कहा है कि सड़क के मामले में शिवराज सरकार बस एक ही रणनीति पर काम कर रही है। जमीनी स्तर पर काम तो वह कुछ नहीं करती, जब जनता की परेशानियां बढ़ती हैं और सड़कों को लेकर आलोचना का दौर चल पड़ता है तो वह आनन-फानन में जनता को गुमराह करने और अपनी इज्जत बचाने के लिए केंद्र सरकार को दोष देने लगती है।
अपनी नाकामी को छिपाने का भाजपा सरकार ने यह एक नायाब तरीका ईजाद कर लिया है, जो किसी बाजीगरी से कम नहीं है ! आपने कहा है कि ऐसा लगता है-प्रदेश की वर्तमान सरकार जन सुविधाओं से संबंधित कार्यों को विशेष महत्व नहीं देती। इसीका दुष्परिणाम है कि सड़कें हो या स्वास्थ्य सुविधाएं अथवा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था, सब बदहाली की शिकार हैं। सड़कों की दशा सुधारने के लिए मंजूर पूरा बजट भी वह खर्च नहीं कर पा रही है।
लोक निर्माण विभाग इस वर्ष करीब 543 करोड़ की राशि का उपयोग नहीं कर पाया है। आपने कहा है कि इस राशि से 8 हजार किलोमीटर सड़कों की मरम्मत हो सकती है। यदि नई सड़कें बनवायी जाएं तो 1100 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण हो सकता है। ऐसा न करके सरकार प्रदेश की जनता को सड़कों की मूलभूत सुविधा से वंचित कर रोज गड्ड़ों वाली सड़कों से जूझने के लिए मजबूर कर रही है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि केवल दो फिल्म अभिनेत्रियों से माफी मांग लेने मात्र से प्रदेश की जनता को सड़कों की बदहाली में झोंकने के बड़े अपराध से सरकार बरी नहीं हो सकती। ये सिने-तारिकाएं तो एक-दो दिन के लिए प्रदेश प्रवास पर आई थीं, लेकिन प्रदेश के जो करोड़ों लोग यहां की प्राणलेवा सड़कांे का रोज सामना कर रहे हैं, उनकी तकलीफों को भी अब सरकार को महसूस करना ही होगा। इलाहाबाद में होने वाले कुंभ में प्रदेशवासी भी लाखों की संख्या में सड़क मार्ग से पहुंचेंगे। उन्हें कितनी दुश्वारियों का सामना करना पड़ेगा, सहज कल्पना की जा सकती है।
आपने कहा है कि बुजुर्गों को सरकारी खर्च पर तीर्थ यात्रा कराने वाली सरकार यदि कुंभ यात्रियों को ठीकठाक सड़कें नहीं दे पा रही हो, तो इलाहाबाद में प्रवेश के पहले धर्मप्राण जनता से प्रदेश की बदहाल सड़कों के कारण होने वाली तकलीफों के लिए माफी मांगने हेतु एक माफी केंद्र ही खोल दें।
शिवराज सरकार को गरीबों को निवाले से वंचित करने में भी नहीं आई शर्म: भूरिया
भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद कांतिलाल भूरिया ने कहा है कि प्रदेश के गरीबों ने 2008 के विधान सभा चुनाव में जिताकर भारतीय जनता पार्टी को इस विश्वास पर प्रदेश की सत्ता सौंपी थी कि उसकी सरकार उनके प्रति संवेदनशीलता का परिचय देगी और उनके हक की सरकारी सुविधाओं से वह उनको वंचित नहीं करेगी, लेकिन भाजपा सरकार के कार्यकाल से संबंधित जो सच अब उजागर हो रहे हैं, उनसे प्रदेश के करोड़ों गरीबों के खातों में निराशा के अलावा कुछ भी जमा नहीं हो रहा है।
इस कारण वे इन दिनों स्वयं को भाजपा और उसकी सरकार के हाथों ठगे हुए महसूस कर रहे हैं। आपने कहा है कि केंद्र सरकार गरीब परिवारों को रियायती दर पर हर साल प्रदेश सरकार को अनाज का अतिरिक्त कोटा देती है, जिससे कि उनको अपने भरण-पोषण के लिए कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
केंद्र की इस गरीब हितैषी योजना को संचालित करने की पूरी जवाबदारी राज्य सरकार की रहती है। केन्द्र सरकार हर साल अतिरिक्त कोटे का आवंटन करती है। राज्य सरकार अनाज के उस अतिरिक्त कोटे को उठाकर अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये बीपीएल परिवारों को रियायती दर पर वितरित करती है। आपने कहा है कि खेद की बात है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपनी इस जवाबदारी को ठीक से नहीं निभाया और गरीबों के प्रति अपेक्षित संवेदनशीलता नहीं बरती।
सांसद ने आगे कहा है कि तीन साल में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने गरीब परिवारों में वितरण के लिए अतिरिक्त कोटे के बतौर सात बार में 18 लाख 84 हजार टन अनाज प्रदेश सरकार को जारी किया था। प्रदेश सरकार ने इसमें से मात्र 4 लाख 16 हजार टन अर्थात कुल अतिरिक्त आवंटन का केवल 22 प्रतिशत अनाज ही उठाया है।
भूरिया ने कहा है कि मई 2012 में जारी आवंटन को छोड़ दे तो शेष छह मौकों पर मिले कोटे का राज्य की भाजपा सरकार ने केवल 8 से 11 प्रतिशत अनाज ही उठाया है। केंद्र ने गरीबों में बांटने के लिए जुलाई 2012 में करीब 3 लाख 16 हजार टन अनाज का कोटा विशेष तौर पर जारी किया था। इसमें से 40 प्रतिशत कोटा सितम्बर 2012 में उठाया जाना जरूरी था, लेकिन नहीं उठाया गया है।
श्री भूरिया ने कहा है कि इस संबंध में कंेद्र सरकार की ओर से खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव ने 31 अक्टूबर 2012 को जो हलफनामा दायर किया है, उसमें राज्य सरकार की इस उदासीनता का हवाला दिया गया है। राज्य सरकार की ओर से इस स्थिति का खंडन किया गया है। लेकिन भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के संयुक्त सचिव की प्रतिक्रिया से यह जाहिर होता है कि राज्य सरकार ने केंद्र से मिला पूरा कोटा नहीं उठाया है।