भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तक की घोषणाओं को बजट आवंटित न करने वाले अपनी कंजूसी के लिए विख्यात प्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी भाई की आखें मध्यप्रदेश शासन को बहुत मंहगी पड़ रहीं हैं। उनकी आखों में चढ़ा चश्मा 40 हजार का है और इसका भुगतान मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया गया है।
यह जानकारी आईटीआई के तहत उजागर हुई। इस खुलासे के बाद पता चला कि वित्तमंत्री महोदय की आखें पूरी तरह से खराब हो गईं हैं और शासन की मजबूरी है कि वो उन्हें 40 हजार का मंहगा चश्मा तक खरीदकर दे रहा है ताकि वो फाइलों को पढ़ सकें।
शासन ने उनके लिए यह चश्मा मुम्बई से मंगवाया है। रिकार्ड बताते हैं कि इस खरीदारी में मोलभाव भी किया गया है। विक्रेता ने चश्मे की कीमत 50 हजार रुपए बताई है और 10 हजार रुपए डिस्काउंट भी दिखाया गया है।
इससे पहले 2011 में माननीय की आखों का इलाज भी सरकारी खर्चे पर ही किया गया था। इलाज के लिए मंत्रीजी चेन्नई के शंकर नेत्रालय गए और शासन ने उनके आने जाने, रुकने ठहरने के अलावा इलाज का खर्चा 27008 रुपए भी चुकाया।
समझ नहीं आ रहा कि एक मंत्री की आखों पर लाखों खर्च करने की जरूरत क्या है। यदि माननीय की आखें काम की नहीं रहीं तो उन्हें रिटायरमेंट क्यों नहीं दे दिया जाता। सरकार चाहे तो उन्हें सलाहकार बना सकती है। वित्तमंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण काम जिसमें आखों और दिमाग का ही उपयोग किया जाता हो, क्यों दे रखा है।
आखिर हमारे टैक्स से की गई कमाई वित्तमंत्री की आखों की सर्विसिंग पर कब तक खर्च की जाती रहेगी।