मध्यप्रदेश से नाराज 35 डॉक्टर्स ने किया एम्स में अप्लाई

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन की नीतियों से नाराज मध्यप्रदेश के 35 डॉक्टर्स जो प्रदेश के मेडीकल कॉलेजों में प्रोफेसर्स भी हैं, एम्स जाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रोपर पेपरवर्क भी पूरा कर लिया है और शासन से अनुमति मांगी है। सनद रहे कि मध्यप्रदेश के डॉक्टर्स लगातार वेतन विसंगतियां दूर करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। 

जिन सरकारी मेडीकल कॉलेजों के डॉक्टर्स मध्यप्रदेश शासन से मुक्ति के लिए एम्स जाना चाहते हैं उनमें भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के अन्य सरकारी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। करीब 35 चिकित्सा विशेषज्ञों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आवेदन दिया है। एम्स प्रबंधन ने डॉक्टरों को साक्षात्कार के लिए बुलाया है। साक्षात्कार 15 जनवरी से शुरू होंगे। 

इन डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा संचालनालय को पत्र लिखकर मेडिकल कॉलेज छोड़ने की अनुमति मांगी है। इनमें प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक स्तर के डॉक्टर शामिल हैं। शासन की ओर से कुछ डॉक्टरों को इसकी अनुमति दे दी गई है। दरअसल, मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की ओर से शासन से लंबे समय से वेतन विसंगतियों में सुधार की मांग की जा रही है। 


शासन की ओर से कई बार उनकी मांगें पूरी करने आश्वासन दिया गया, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे डॉक्टरों में असंतोष है। अब डॉक्टर्स तो संविदा शिक्षकों की तरह आंदोलन नहीं कर सकते और न ही उनके पास कोई बहुत बड़ा वोटबैंक है जो वो सरकार पर दबाव बना सकें, लेकिन एक मौका मिला है मध्यप्रदेश सरकार से मुक्ति पाने तो उसे कोई गंवाना नहीं चाहता। 


शासन ने कहा जाओ, लेकिन लौटकर मत आना  


शासन ने भी एम्स जाने वाले डॉक्टरों की वापसी राह में रोड़ा अटका दिया है। डॉक्टरों को इस शर्त पर अनुमति दी जा रही है कि एक बार एम्स में पदस्थापना के बाद वे दोबारा पुराने मेडिकल कॉलेज को ज्वाइन नहीं कर पाएंगे। इसलिए वे सोच समझकर निर्णय लें।


मेडीकल कॉलेजों में 311 फीसदी पद खाली



प्रदेश मे छह मेडिकल कॉलेजों में प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक के कुल 1196 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में इनमें से 311 पद खाली हैं। शासन की ओर से खाली पड़े पद भरने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद जरूरत के मुताबिक डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं।


क्या हैं डॉक्टरों की मुख्य मांगें


- 1 जनवरी, 2006 से चिकित्सा शिक्षकों के सभी संवर्गो को यूजीसी वेतनमान दिया जाना
- भत्ते व नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस और समयबद्ध पदोन्नति देना
- चिकित्सा शिक्षक संवर्ग प्रदर्शक के लिए समयमान वेतनमान देना
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