भोपाल। वो निश्चित ही जिंदा होती, यदि उसे समय पर इलाज मुहैया करा दिया जाता। उसने सरकारी खजाने की रक्षा में जान की बाजी लगा दी, लेकिन सरकारी अधिकारियों को उसकी कोई फिक्र नहीं थी। वो लावारिस तड़पती रही और अंतत: उसने दम तोड़ दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं शनिवार को हुए मीरा हत्याकांड की। जिसने एक बार फिर इस शहर की संवेदनहीनता और अधिकारियों की जानलेवा लापरवाही साबित कर दी है।
घटना रायल मार्केट स्थित बिजली विभाग के कैश काउंटर की है। हलालपुर बस स्टैंड के पीछे स्थित ओमनगर निवासी 52 वर्षीय मीरा पत्नी स्व. रमेश कुमार आहूजा की शाम करीब 6 बजे लूट के इरादे से गले में चाकू मारकर हत्या कर दी गई। वारदात के समय मीरा कैश काउंटर पर जमा हुए बिजली के बिलों की राशि का हिसाब-किताब कर रही थी। अचानक आए बदमाश ने उनसे कैश की मांग की और जब मीरा ने इंकार किया तो बदमाशों ने उन पर चाकू से हमला कर दिया।
चाकू मीरा की गर्दन पर लगा। घायल होने के बाद भी उन्होंने बदमाशों का पीछा किया, पकड़ने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों में किसी ने मदद नहीं की। जब खून ज्यादा बहने लगा तो तो वे दफ्तर की दूसरी मंजिल पर गईं। वहां उनका साथी कर्मचारी काम कर रहा था। अपने साथी के सामने ही मीरा बेहोश हो गई।
इसी दौरान बदमाश कैश काउंटर से करीब दो लाख की राशि लेकर फरार हो गया। वहां मौजूद कर्मचारी उसे अस्पताल ले जाने के लिए काफी देर तक वाहन तलाशते रहे। उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। महिला की शनिवार को दोपहर डेढ़ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक की ड्यूटी थी। मौके से पुलिस को काउंटर के समीप ही हमले में इस्तेमाल किया गया खून से सना चाकू और दस व बीस रुपए के नोटों की एक-एक गड्डी पड़ी मिली है। माना जा रहा है कि भागते समय दोनों गड्डियां लुटेरे के हाथ से गिर गई होंगी।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सरकारी मशीनरी में एक इंसान की जान की कीमत कितनी कम है। हर रोज जिस काउंटर से लाखों का कैश आता है, वहां एक महिला की तैनाती और किसी भी प्रकार की सुरक्षा बंदोबस्त का न होना, यह साबित कर रहा है कि अधिकारी, अपने अधीनस्थों की कतई परवाह नहीं करते।
इस मामले में भोपाल शहर की संवेदनहीनता भी उजागर कर दी है। एक गंभीर घायल महिला की मदद के लिए कोई सामने नहीं आया। वो तड़पती रही और अंतत: उसने दम तोड़ दिया।