SDM का रीडर बन गया भूमाफिया

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल ने कहा है कि सरकारी नौकरी और भूमाफियागीरी कैसे साथ-साथ चल सकती है, शिवपुरी के एसडीएम के रीडर अनिल व्याघ्र ने यह सफलतापूर्वक करके दिखा दिया है और तृतीत श्रेणी के पद पर काम करते हुए उसने शिवपुरी में लगातार एसडीएम का रीडर बने रहकर इंदौर, ग्वालियर और शिवपुरी आदि स्थानों पर करीब पांच करोड़ की संपत्ति गैर कानूनी तरीके से अर्जित कर ली है।

अब शिवपुरी जिले में अनिल व्याघ्र को आम लोग एसडीएम के रीडर की बजाय एक भूमाफिया के रूप में जानने लगे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि सरकारी नियमों को धता बताकर यह कर्मचारी लगातार करीब 20 वर्ष से एसडीएम के रीडर पद पर काम करते हुए प्रपंचों द्वारा सरकारी और पट्टे की जमीन को अपने रिश्तेदारों के हवाले करता चला आ रहा है। सारे नियम-कायदे और आदेश उसके सामने बेकार साबित होते हैं। अनिल व्याघ्र की गैर कानूनी गतिविधियों की जानकारी होते हुए भी कलेक्टर भी उसकी इस दबंगई पर हाथ नहीं डाल पाये हैं। ऐसा लग रहा है जैसे शिवपुरी जिले में पूरा जिला प्रशासन इस कर्मचारी की मदद करने में जुटा हुआ है।

श्री अग्रवाल ने कहा है कि रीडर अनिल व्याघ्र के काले कारनामों के बारे में जो प्रामाणिक तथ्य प्राप्त हुए हैं, उनके अनुसार व्याघ्र की गतिविधियां काफी चैंकाने वाली हैं। शिवपुरी जिले के चंदनपुरा गांव के निवासी जगदीश कुशवाह नामक व्यक्ति अनिल व्याघ्र के खिलाफ पिछले डेढ़ साल से आवाज उठा रहा है। व्याघ्र द्वारा जारी लूट खसोट की जांच और उसको एसडीएम के रीडर पद से अन्यत्र स्थानांतरित कराने की मांग को लेकर यह व्यक्ति आठ दिन कलेक्टर कार्यालय के सामने और पांच दिन अस्पताल में अनशन भी कर चुका है। 

कुशवाह ने घोषणा की है कि वह मरते दम तक अनिल व्याघ्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता रहेगा। रीडर की दबंगई का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि व्याघ्र के कारनामों की जांच जिस बग्गा नामक डिप्टी कलेक्टर को सौंपी गई थी, उसने सेवानिवृत्ति के तीन दिन पहले प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में सारे प्रमाणित तथ्यों को एक झटके में असत्य सिद्ध कर दिया, जबकि जांचकर्ता ने न तो संबंधित रिकार्ड देखंे और न ही शिकायतकर्ता को सुनवाई का मौका दिया। इसी प्रकार उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने दायर एक याचिका में कलेक्टर, शिवपुरी को व्याघ्र के विरूद्ध जांच के आदेश दिये गये थे, किंतु कलेक्टर ने कोई जांच नहीं की। इसके विपरीत भूमि के पट्टों की जानकारी छिपाने के लिए रिकार्ड में गलत ढ़ंग से दर्ज की गई।

प्रदेश के मीडिया विभाग के अध्यक्ष ने अनिल व्याघ्र द्वारा जमीनों के मामले में किये गए भ्रष्टाचार के बारे में ब्यौरा देते हुए कहा है कि वह पहले शासकीय भूमि के बेनामी पट्टे करवा लेता है और फिर पट्टे की जमीन बिक्री के नियम न होने के बावजूद सरकारी रिकार्ड में हेराफेरी करके अपने परिजनों और रिश्तेदारों के नाम विक्रय कर देता है। अपनी पदेन स्थिति का दुरूपयोग कर वह ऐसी भूमि का ग्राम पंचायत से नामांतरण भी करवा लेता है, जबकि ग्राम पंचायत को इस प्रकार के अधिकार नहीं हैं। बताया जाता है कि जमीनों की खरीद-बिक्री के कई कागजातों पर अनिल व्याघ्र ने स्वयं फर्जी हस्ताक्षर किये हैं। सतनवाड़ा, श्यामपुर, बड़ोदी तथा मामोनी गांव में व्याघ्र ने सरकारी जमीनों की खूब लूट की है।

श्री अग्रवाल ने आगे कहा है कि आश्चर्य की बात है कि अनिल व्याघ्र पिछले 20 वर्षों से इतने बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों की लूट खसोट करके करोड़ों की अवैध कमाई करता रहा, लेकिन जिला प्रशासन को उसकी भनक तक नहीं लगी। इस कांड से यह साबित हो रहा है कि सरकारी अधिकारी और राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने प्रदेश में सरकारी जमीनों की किस कदर लूटमार मचा रखी है। आपने अनिल व्याघ्र को एसडीएम के रीडर पद से तत्काल हटाने और किसी वरिष्ठ अधिकारी से उसके भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की है।
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