ग्वालियर। पिछले डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश में किसी भी फांसी के आरोपी को सजा नहीं मिल सकी है। आखिरी बार फांसी की सजा जबलपुर में सन 1997 में दी गई थी। वहीं मध्यप्रदेश में आठ केन्द्रीय जेलों होने के बावजूद सभी जेलों में फांसी की व्यवस्था नहीं हैं, केन्द्रीय जेलों में से सिर्फ तीन में ही फांसी की व्यवस्था है।
लेकिन अब भी मध्यप्रदेश की जेलों में ऐसे बंदी हैं जिन्हें न्यायालय से फांसी की सजा मिल सकी है। कुछ के मामले तो सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं तो किसी ने राष्ट्रपति दया याचिका के लिए गुहार लगाई है। मध्यप्रदेश की आठ केन्द्रीय जेलों में सिर्फ जबलपुर, इंदौर, व सागर में फांसी दिए जाने की व्यवस्था है। वहीं अगर मध्यप्रदेश में किसी को फांसी की सजा दी जाती है तो अधिकतर जबलपुर जेल में ही फांसी दी जाती है।
जबलपुर जेल में अब तक लगभग 53 बंदियों को फांसी दी जा चुकी है। वहीं सतना व इंदौर में कम ही लोगों को फांसी दी गई है। वहीं प्रदेश में कई ऐसे बंदी अभी भी हैं जिनको कई गंभीर मामलों में फांसी की सजा मिल चुकी है। ग्वालियर जेल में भी चार ऐसे बंदी हैं जिन्हें फांसी की सजा दी जा चुकी है। फांसी की सजा में कई मामले सुप्रीम कोर्ट व कई मामले राष्ट्रपति के पास फांसी माफ किए जाने के लिए लंबित हैं।