भोपाल। जिस खुदा ने हमें पैदा किया है, उसके बताए रास्ते पर चलना और इबादत करना ही सच्चा दीन है। इंसान जब तक अपनी मर्जी से जिंदगी बिताता रहेगा, दुनिया में भी नाकामयाब होगा और आखिरत के लिए भी मुश्किलें पैदा करता रहेगा। जमातों में निकलकर इंसान दीन को सीखता-सिखाता है।
यह ईमान मजबूत करने का रास्ता है। यह कहना है बाराबंकी से आए मौलाना शरीफ साहब का, जोकि शनिवार की अलसुबह से शुरु हुए तीन दिनी 65वें आलमी तब्लीगी इज्त्मि के पहले दिन बयान फरमा रहे थे। इज्तिमा का आगाज सुबह फजिर की नमाज के बाद बयान से हुई। सुबह का बयान करीब 11 बजे तक चला। जिसमें अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की गई।
साथ ही ईमान को पुख्ता करने के लिए जमातों में निकलने की जरूरत पर भी जोर दिया गया। इज्तिमा में शिरकत करने के लिए पहले ही दिन देश और विदेश से करीब ढाई लाख जमाती आ चुके हैं, जिनके आने का सिलसिला जारी है। उम्मीद जमाई जा रही है कि इस तीन दिनी इज्तिमा के दौरान करीब 13 लाख लोग शामिल होंगे।
रात तक चला तकरीर का सिलसिला
दोपहर 2 बजे जौहर की नमाज अदा करने के बाद बस्ती उप्र के मौलाना मुस्तकीम साहब ने बयान फरमाया, जोकि शाम तक चला। मौलाना ने इज्तिमा के बाद चार माह की जमात में निकलने वालों की तश्कील भी की। पांडाल में हाजिर लाखों लोगों में से बडी तादाद में लोगों ने चार माह जमात में जाने के लिए अपने नाम लिखवाए। असिर की नमाज के बाद आलमी तब्लीगी इज्तिमा के प्रमुख रहनुमा सुलेमान जहांगीरी साहब ने मुखातिब किया। शाम को मगरिब की नमाज के बाद बयान का दौर देर रात तक चला। इसके बाद ईशा की नमाज अदा की गई, इसके बाद दिल्ली मरकज के मौलाना अहमद लाट साहब ने बयान फरमाया। शाम को दिल्ली मरकज से आए मौलाना साअद साहब ने बयान किया। जिससे सुनने के लिए बडी तादाद में जमाती और शहरभर से लोग पहुंचे।
हर जुबां पर अल्लाह
इज्तिमागाह पर जमा लाखों लोग पूरी तरह अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। बयान-ओ-तकरीर के अलावा पांचों वक्त की नमाजों का अहतमाम भी यहां हो रहा है। साथ ही अपने घर की सहूलियतें छोड़कर अल्लाह की राह में निकले जमाती रात में उठकर तहज्जुद की नमाज भी अदा कर रहे हैं। हर तरफ सिर्फ दीन- ओ-ईमान की ही बातें हो रही हैं।
रुहानी अहसास हुआ
इज्तिमा में जमातियों को रुहानी अहसास हो रहा है। पहली बार आए इंदौर के तनवीर जफर, मो. अदनान, अर्शिल खान, शायान खान ने बताया कि यह उनके लिए पुरसुकून अहसास है। इधर औरंगाबाद के बशीर देसाई, केरल के वीरान कुटटी, सिकंदराबाद के कमाल पाशा ने बताया कि वे कई बरसों से जमातों में शामिल हो रहें हैं। लेकिन भोपाल में नया अहसास है।