हरदा। प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को तरन्नुम हत्याकांड में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, बावजूद इसके उसे उम्रकैद की सजा हुई और सजा के लिए माध्यम बनी उसकी कॉल डिटेल, जिसने उसे सलाखों के पीछे भेज दिया।
घटना करीब 4 वर्ष पूर्व की है। अतिरिक्त लोक अभियोजक सुंदरलाल निशोद ने बताया कि शहर के फाइल वार्ड निवासी तरन्नुम पिता मोहम्मद रहीम 1 सितंबर 2008 की शाम करीब 4 बजे घर से अपनी सहेली रजनी के यहां प्रताप कॉलोनी जाने के लिए निकली थी। इसके बाद से वह वापस नहीं लौटी थी।
काफी खोजबीन के बाद भी उसका पता नहीं चलने पर उसके पिता मोहम्मद रहीम ने अगले दिन थाना में तरन्नुम की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। तीन सितंबर को दोपहर 3 बजे करीबी ग्राम छोटी हरदा के कोटवार सुरेश को राजू नामक व्यक्ति ने बताया था कि एक खेत में नीम के पेड़ के नीचे महिला की लाश पड़ी है।
कोटवार ने यह सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरु की। इस दौरान मोहम्मद रहीम ने शव की शिनाख्त अपनी पुत्री तरन्नुम के रूप में की। पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले की विवेचना की तो पाया गया कि संतोष पिता किशन यादव ने तरन्नुम की हत्या की थी।
इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पुलिस ने मोबाइल कॉल डिटेल भी निकाले। श्री निशोद के अनुसार प्रकरण में कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कपिल मेहता ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर हत्या के आरोपी संतोष यादव निवासी छोटी हरदा (पावर हाउस के सामने) पर दोष सिद्ध पाते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा एवं 2 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा न करने पर आरोपी को एक वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है।