अब पुलिसवाले भी करा सकेंगे 5 स्टार हास्पिटल्स में इलाज

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस के कर्मचारियों को अब इलाज के लिए दर दर भटकना नहीं पड़ेगा। वो अपने जिले के हॉस्पिटल के अलावा इन्दौर और मुंबई के लक्झरी हास्पिटल्स में भी इलाज करा पाएंगे। इसके लिए डीआईसी इन्दौर ने एक बेहतरीन योजना बनाई है जिसे मंजूरी भी मिल गई है। ग्रहमंत्री उत्साहित हैं और कम से कम पुलिसवालों को भी एक चुनावी तोहफा मिल ही जाएगा। 

मध्यप्रदेश पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना संबंधी नियम और प्रक्रिया अतिशीघ्र बनायें। यह निर्देश गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने मंत्रालय में संबंधित अधिकारियों की बैठक में दिये। बैठक में पुलिस बल के आरक्षकों की पदोन्नति एवं गृह भाड़ा भत्ता के संबंध में भी चर्चा हुई। डीआईजी इंदौर श्री ए. साईं मनोहर ने स्वास्थ्य सुरक्षा के संबंध में पावर-पाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों का समय पर इलाज करवाने और मेडिकल रीएम्बर्समेंट की परेशानियों से मुक्ति दिलवाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश पुलिस स्वास्थ्य सुरक्षा योजना बनायी जा रही है। आन्ध्रप्रदेश और कर्नाटक में संचालित इस तरह की योजना का अध्ययन करने के बाद यह योजना प्रस्तावित की गयी है।

योजना के क्रियान्वयन के लिए एक ट्रस्ट गठित किया जाएगा। ट्रस्ट की प्रबंधक समिति के अध्यक्ष पुलिस महानिदेशक होंगे। समिति में एक उपाध्यक्ष, सचिव और 12 सदस्य होंगे। योजना में प्रत्येक पुलिस कर्मचारी को 50 रुपये प्रतिमाह अंशदान देना होगा। प्रदेश पुलिस में लगभग 80 हजार अधिकारी-कर्मचारी हैं। योजना में प्रत्येक सदस्य, उसकी पत्नी और बच्चों को एक वित्तीय वर्ष में 8 लाख रुपये तक के इलाज की पात्रता होगी। किसी को भी बीमारी होने पर उसका इलाज चिन्हित अस्पतालों में तुरंत शुरू किया जाएगा। शासन के नियमानुसार चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासन द्वारा सीधे ट्रस्ट को की जाएगी।

योजना में इलाज के लिए प्रदेश के 30 और प्रदेश के बाहर के 31 हॉस्पिटल चिन्हित किए गए हैं। 
प्रदेश के चिन्हित 30 अस्पतालों में 

इंदौर का बाम्बे हॉस्पिटल, 
सिनर्जी हॉस्पिटल 
हार्डिया नेत्र चिकित्सालय

भोपाल के चिरायु, पीपुल्स, भोपाल मेमोरियल, जवाहर लाल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, 

जबलपुर का भण्डारी, जामदार, जबलपुर हॉस्पिटल, नेशनल हॉस्पिटल, 

ग्वालियर का सहारा हॉस्पिटल, बिड़ला हॉस्पिटल एवं कैंसर हॉस्पिटल, 

उज्जैन का आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज एवं बिरला हॉस्पिटल और एपेक्स हॉस्पिटल 

देवास, सी.एच.एल. जैन दिवाकर हॉस्पिटल रतलाम, शारदा हॉस्पिटल खरगोन, कमला जैन हॉस्पिटल मंदसौर, गोमाबाई हॉस्पिटल नीमच, प्रकाश हॉस्पिटल खण्डवा, अरिहंत हॉस्पिटल इटारसी, नाहर नर्सिंग होम छिन्दवाड़ा, मिशन हॉस्पिटल पाढर बैतूल और बिरला हॉस्पिटल सतना शामिल हैं।

प्रदेश के बाहर के 31 अस्पताल में नई दिल्ली के एम्स, जे.पी. पंत, एस्कार्ट एवं अपोलो, मुम्बई का जसलोक, टाटा मेमोरियल, नानावटी, बाम्बे एवं लीलावती, चेन्नई का अपोलो, पनाडालिया कार्डियो फाउण्डेशन एवं शंकर नेत्रालय, हैदराबाद का निजाम इंस्टीट्यूट, मेडिसिन केयर एशियन इंस्टीट्यूट, लखनऊ का पीजीआई, हैदराबाद का अपोलो, बड़ोदा का भाईलाल अमीन, अहमदाबाद का साल, गुड़गाँव का मेदान्ता, जयपुर का महावीर और नागपुर का अनरेजा हॉस्पिटल, योकार्ड, अरिज, महात्मा आई, फरीदाबाद का फोर्टिस, मदुरई का अरविंद आई केयर और बैंगलुरू का जिमहेंस, नारायण एवं कोलम्बिया हॉस्पिटल शामिल हैं।

बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह श्री आई.एन.एस. दाणी, पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे और चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं वित्त विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
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