एटमी हथियारों पर रोक के प्रयास फिर शुरू हो

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अमेरिकी पत्रिका फारेन पॉलिसी में छपे एक लेख पर  भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के परमाणु हथियार गिनने में लगे है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने दुनिया से गुहार लगाई है कि भारत एटमी हथियारों को समर्पित एक गुप्त शहर बसाने में जुटा है, जिसे तुरंत रोका नहीं गया तो दक्षिण एशिया का शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है। जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इसे पाकिस्तानी कल्पना की उड़ान बताया है और कहा है कि भारत अपनी वैश्विक जवाबदेही को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

अमेरिका की  पत्रिका 'फॉरेन पॉलिसी' में प्रकाशित वह लेख जिसमें कर्नाटक के गुलबर्गा जिले की एक पिछड़ी तहसील में भारत के कुछ वैज्ञानिक और प्रतिरक्षा संगठनों द्वारा विकसित किए जा रहे एक शोध और परीक्षण ठिकाने को हाइड्रोजन बम जैसे खतरनाक एटमी हथियारों पर काम करने की जगह बताया गया है।

सच्चाई यह है कि कुछ समय पहले जारी एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक अभी पाकिस्तान के पास 120 एटम बम हैं, जबकि भारत के पास 90 से 110 एटम बम होने की बात कही गई है। यह खुद में एक गंभीर असंतुलन का नमूना है, क्योंकि पाकिस्तान को खतरा सिर्फ भारत से है, जबकि भारत को पाकिस्तान के अलावा चीन के रूप में एक कहीं ज्यादा बड़ी एटमी ताकत के दबदबे से खुद को बचाकर रखना है। यहां एक और बात की तरफ दुनिया का ध्यान खींचना जरूरी है कि भारत के वैज्ञानिक संगठन कर्नाटक में जो भी काम कर रहे हैं, उसे 'फॉरेन पॉलिसी' में भी एक शोध उपक्रम ही बताया गया है, एटमी हथियार बनाने और जमा करने की जगह नहीं। दुनिया के लिए चिंता का विषय परमाणु हथियारों का जमा होते जाना है, न्यूक्लियर साइंस पर रिसर्च करना नहीं।

होना तो यह चाहिएकी फारेन पॉलिसी सबसे पहले अमेरिका अपने एटमी हथियारों पर कोई सीमा बांधने की सलाह दे। अमेरिकी रवैया इसके ठीक उलट है, जिसके चलते रूस ने भी नए एटमी हथियार बनाने पर खुद से लगाई गई रोक को हाल में हटाने का फैसला कर लिया है। सच्चाई यह है कि एटमी लड़ाई का निशाना सैन्य बल नहीं, हमेशा आम नागरिक ही बनते हैं, लिहाजा चाहे भारत हो या पाकिस्तान, या दुनिया का और कोई भी देश, एटमी हथियारों के फैलाव पर रोक संसार के बचे रहने की जरूरी शर्त है। एटमी हथियारों में कमी लाने के मुद्दे पर अस्सी के दशक के अंतिम वर्षों की तरह आज भी एक विश्वव्यापी प्रयास की जरूरत है। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक बाहरी दबदबे से बचने के लिए अपनी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने का हक हर किसी को है। पाकिस्तान अगर दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को लेकर वाकई चिंतित है तो उसे अपने एटमी जखीरे को जहां का तहां रोक देने की एकतरफा घोषणा करनी चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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