प्रदीप कुमार यादव | कितना हास्यप्रद है कि जो संगठन अपनी मांगों के लिए जब हड़ताल पर बैठा तब मूछें तान के कहा गया था कि *जब तक मांगे पूरी न होगी हम हड़ताल से नहीं उठेंगे, अब की बार शासन को घोषणा नहीं चलेगी, आदेश हाथ में होगा तभी हम पीछे हटेंगे* संगठन की इस मंशा के साथ सब खड़े हुए, तैयारी हुई आर पार की लड़ाई की। आलाकमान ने सरपंच/सचिवों को तन मन धन से सहयोग देंने को कहा गया, सब मिलकर लडे किन्तु अंत में बिना किसी निष्कर्ष के हड़ताल समाप्त की गई। सरकार ने इस बार ना केवल ठेंगा दिखाया बल्कि मप्र के 23000 सरपंच/सचिवों घड़ी का पेंडुलम बना दिया। अब वो कभी अपने संगठन तो कभी सरकार की ओर देखते हैं। उन्हे ना यहां से कुछ मिलता है ना वहां से।
आलाकमान ने सफाई दी *हड़ताल समाप्त नहीं की गई बस स्थगित की है, प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई *29 जनवरी को महासम्मेलन में घोषणा करके आदेश जारी करेंगे क्योंकि मुख्यमंत्री हड़ताल के दौरान घोषणा नहीं करते*, सब खुश हुए इंतजार होने लगा 29 जनवरी का, बीच में संगठन द्वारा फिर से एक प्रेस विज्ञप्ति आई *29 जनवरी को रविवार है एवं मुख्यमंत्री व्यस्त होंगे इसलिए कार्यक्रम 31 जनवरी को होगा, फिर एक बार जो तारीख दी गई उसे बदला गया कारण था नितिन गडकरी जी का आना बड़ी बड़ी बाते की गई कहा गया हम हवा हवाई कार्यक्रम नहीं करेंगे*।
फिर एक बार तारीख परिवर्तन हुआ कहा गया मुख्यमंत्री जी से चर्चा हुई है मुख्यमंत्री जी ने हँसते हुए कहा *में कुछ भुला नहीं हूं सब याद है आपको सौगाते दूंगा कल आ जाओ बात करते हैं* 02 फरवरी को मुलाकात हुई कहा गया *6 फरवरी को वित्त विभाग रिपोर्ट देगा 10 फरवरी के आसपास मुख्यमंत्री घोषणा करेंगे* फिर एक बार तारीख और फिर से इंतजार। अब आई 10 फरवरी लगा इंतजार खत्म होगा आज कुछ अच्छा मिलेगा, संगठन के झुझारू प्रवक्ता बलमकुंद पाटीदार द्वारा प्रदेश कार्यालय से अनुमोदित प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, इस बार तारीख नहीं दी गई कहा गया *फरवरी के अंत और मार्च के शुरुवाती सप्ताह में बजट में होगा प्रावधान*। इस बार कोई घोषणा नहीं कोई आदेश नहीं।
ये पूरा घटनाक्रम हास्यास्पद है। एक बार पहले भी लंबी लड़ाई की गई उसमे भी सबने साथ दिया, वहां भी संगठन ने बड़े बड़े वादे किए व खूब सपने दिखाए गए हड़ताल लंबी चली किन्तु परिणाम शून्य रहा आलाकमान ने कहा *माननीय मुख्यमंत्री* हड़ताल के दौरान कोई घोषणा नहीं करते इसलिए हड़ताल खत्म करे उसके बाद घोषणा करेंगे, इस तरह हड़ताल खत्म हुई और बस अभी जो हो रहा वैसा ही कुछ तब हुआ था।
सभी ने बहुत इंतजार किया है अभी भी कर रहे हे अभी भी उम्मीद लगाए बैठे है परन्तु संगठन की हालत देखिए जनाब जिन 23000 सचिवो के दम पर आप सरकार को आँख दिखाते हैं आज उन्ही के सवालो के जवाब नहीं दे पा रहे हो। कहा जा रहा है सवाल न पूछे जाए, अरे साहब आप वो ही हैं ना जो मुख्यमंत्री के गुणगान करते नहीं थकते थे, आप वो ही हैं जो सचिवो के मसीहा कहलाते है, आप वो ही हैं जो सचिवो के भगवान माने जाते हैं। फिर आपसे सवाल क्यों नहीं किए जाए।
अपनी गलती मानिए जनाब और कहिए अपने अंधभक्ति की है और आपको परीणाम ठेंगा मिला है।
निवेदक-
प्रदीप कुमार यादव