ईमानदारी का आधा सच बताकर जांच की जद में आ गए श्योपुर कलेक्टर

भोपाल। श्योपुर कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल का ईमानदारी वाला प्रसंग उनके लिए ही गले की हड्डी बन गया है। जिस विषय पर मंगलवार को उन्हे वाहवाही मिल रही थी, बुधवार को उसी विषय पर उनकी टांग खिंचाई शुरू हो गई। मामला 5 लाख रुपए की रिश्वत का है। होशंगाबाद के एक व्यक्ति ने कलेक्टर को रिश्वत दी, कलेक्टर ने वह तो लौटा दी लेकिन कार्रवाई नहीं की। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की। ऐसा क्या रिश्ता था उस काले कारोबारी से जो कलेक्टर ने नरमदिली बरती। सवाल यह है कि कलेक्टर होते कौन हैं, एक काले कारोबारी के सामने आ जाने के बावजूद उसे कानूनी कार्रवाई से बचा लेने वाले। 

सूत्रों के अनुसार, रविवार की देर शाम जिलाधिकारी अग्रवाल अपने दफ्तर में काम कर रहे थे, तभी उनका एक पूर्व परिचित मिलने दफ्तर पहुंचा। वह व्यक्ति होशंगाबाद का निवासी था, अग्रवाल पूर्व में होशंगाबाद में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तौर पर पदस्थ रहे हैं। इस परिचित ने अपने एक काम की दरख्वास्त करते हुए उन्हें मिठाई का डिब्बा दिया और चला गया। जब अग्रवाल ने इस डिब्बे को खोला तो उसमें 2000 और 500 के नोटों की गड्डी देखकर चौंक गए। इस डिब्बे में लगभग पांच लाख रुपये थे।

अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा कि एक व्यक्ति ने रविवार को उनके दफ्तर में आकर मिठाई का डिब्बा दिया था, उसे खोलकर उन्होंने देखा तो उसमें रुपये रखे थे, उन्होंने तुरंत उस व्यक्ति को बुलाया और फटकार लगाई और डिब्बा वापस किया। उस व्यक्ति ने लिखित माफीनामा दिया है। रिश्वत देने की कोशिश के मामले में जब पुलिस अधीक्षक साकेत पांडे से संपर्क कर जानना चाहा कि जिलाधिकारी की ओर से पुलिस में कोई रिपोर्ट लिखाई है या नहीं तो पांडे ने मंगलवार की शाम तक किसी तरह की रिपोर्ट दर्ज न कराए जाने की बात कही।

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