सामान्य ज्ञान भाग 42 पाकिस्तान विभाजन के कारण

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मुस्लिम लीग 
19 वी शताब्दी के अंतिम 25 बर्षो में अंग्रेजी सरकार ने भारत के हिन्दू और मुसलमानो के बीच एक अमिअ दरार डालने का कुटिलतापूर्ण एवं योजनाबद्ध प्रयास आरंभ किया। अपनी योजना को मूर्तरूप देने के लिये। अंग्रेजो  ने सर सैयद अहमद खॉ का उपयोग किया।
1857 की क्रान्ति के समय सर सैयद अहमद खान ब्रिटिश सेवा में थे।और उन्होने सरकार की मदद की थी, उन्होने अंग्रेजो को समझाया कि मुसलमान वास्तविक रूप् से राज्य बिरोधी नही है। और 1857 की घटनाओ के लिये। उत्तरदायी नही है। सैयद अहमद खान 1869 में इग्लैंण्ड गये। और वहॉ की सस्कृति से अत्यन्त प्रभावित हुये। भारत लौटने पर उन्होने 1875 में अलीगढ में मुहम्मडन एंग्लोओरियंटल कॉलेज की स्थापना की।इसका उदेश्य भारतीय मुसलमानो को पाश्चात्य ढंग से शिक्षित करना था। शीघ्र ही यह कॉलेज मुस्लिम समाज पर अंग्रेजो के द्रारा प्रभाव डालने बाला केन्द्र बन गया। बाद में अलीगढ विश्वबिद्यालय के रूप् में विकसित होने बाला यह कॉलेज अंग्रेजो को दृढ समर्थक बना। इस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में  नियुक्त अंग्रेज ब्यक्ति मि0 बीक ( 1883-1899) ने देश में बढती हुयी राष्ट्रीय भावना से बिद्याथर््िायो को विमुख करने का काम किया। 
1857 में कॉग्रेस के अधिवेशन के समय सर सैयद ने इसके विरोध में मुस्लिम शिक्षा सम्मेलन आयोजित किया तथा कॉग्रेस के विरोध में पैट्रियाटिक ऐसोशिएशन (देशभक्त संघ) की स्थापना की।
जैसे जैसे भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस की शक्ति एवं प्रभाव में बृद्धि हुई शिक्षित मध्यम वर्ग के मुसलमान उसमें शामिल होने लगे। अंग्रेजी शासन के लिये। यी चिन्ता का बिषय बना उन्होने मुसलमानो को कॉग्रेस से दूर रखने के लिये प्रयास आरंभ किये।
अंग्रेजी प्रशासन हिन्दू और मुसलमानो के मध्य धार्मिक आर्थिक राजनीतिक मतभेदो को उतेजित कर दोनो सम्प्रदायो में इतनी प्रतिद्धंदिता उत्पन्न करना चाहता था। कि अंग्रेज सदा उनके बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सके।
20 वी शताब्दी के आरंभ में साम्प्रदायिकता की भावना ने जोर पकडा मुसलमानो का एक वर्ग कॉग्रेस को  मुस्लिम विरोधी मानने लगा था। अंग्रेज शासक भी कॉग्रेस के आन्दोलनो को बिद्रोह के रूप में देखते थे। इसीलियेवे कॉग्रेस की एक प्रतिद्धंदि संस्था की स्थापना करना चाहते थे। ब्रिटिश सरकार के संकेतो को देखते हुये। मुसलमानो का एक शिष्टमण्डल अक्टुबर 1906 में आगा खॉ के नेतृत्व में भारत के वायसराय लार्ड मिण्टो से मिला और एक स्मृति पत्र प्रस्तुत कर कुछ मॉगे रखी। मॉगो में मुसलमानो के लिये। अलग निर्वाचन क्षेत्र विधान मण्डलो में मुसलमानो को अधिक स्थान सरकार नौकरियो और विश्वबिद्यालयो की स्थापना में रियायते और गवर्नर जनरल की परिषद में मुसलमान प्रतिनिधि की नियुक्ति का आग्रह था। अंततः लार्ड मिण्टो भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जनक बना। अंग्रेजो के प्रश्रय से कटटरवादी मुालमानो ने 30 दिसंम्बर 1906 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना की उन्होने 1907 के लखनऊ अधिवेशन में लीग के संबिधान को लागू किया।
मुस्लिम लीग के प्रमुख उदेश्य थे। भारतीय मुसलमानो मे ं ब्रिटिश राज्य के प्रति भक्ति भावना उत्पन्न करना (2) ब्रिटिश शासन के समक्ष मुसलमानो के राजनीतिक अधिकारो और हितो की रक्षा के लिये। मॉग करना (3) लीग के उदेश्यो को हानि पहुॅचाये बिना मुसलमानो एवं अन्य जातियो में यथासम्भव मेलजोल रखना।
मुस्लिम लीग के उदेश्यो से यह स्पष्ट हो जाता है।  िकवह साम्प्रदायिकता संस्था थी अंतः राष्ट्रवादी मुसलमानो ने लीग की स्थापना का विरोध किया। और वे कॉग्रेस में ही बने रहे।
साम्प्रदायिक राजनीति का विकास 1909 में मार्ले ने साम्प्रदायिक निवार्सचन प्रणाली की शुरूआत की।मुस्लिम मतदाताओ के लिये। अलग से निर्वाचन प्रणाली बनाई गई। 1912 से 1924 तक मुस्लिम लीग पर राष्ट्रवादी मुसलमानो प्रभुत्व रहा। मौलाना अबुल कलाम आजाद हकीम अजमल खॉ ओर मोहम्मद अली जिन्ना जैसे राष्ट्रवादी नेताओ के कारण मुस्लिम लीग पर उदारवादी तत्व हाबी रहे। इसी कारण 1916 के लखनऊअधिवेशन में कॉग्रेस ने भी मुसिलमो के प्रतिनिधित्व सम्बंधी साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली  आदि को रविकर कर लिया। इस तरह कॉग्रेस ने भी अंततः साम्प्रदायिक राजनीति को महत्व देकर भारतीय भारतीय राष्ट्रीय आनछोलन को एक नयी दिशा दी।जिसके दूरगामी परिणाम सामने आये। जो आगे चलकर भारत विभाजन का कारण बने।
असहयोग आन्दोलन स्थगित हो जाने के बाद साम्प्रदायिक एकता का आधर समाप्त हो गया। 1922 से 1927 के बीच कई साम्प्रदायिक दंगे हुये। हिन्दू महासभा ने राष्ट्र उन्नति व शुद्धि आन्दोलन चलाये। इधर मुसलमानो ने भी तंजीर (मुसलमानो को संगठित करना) और तबलीग (इस्लाम का विस्तार करना) आन्दोलन चलाये।हिन्दू महासभा से लालालजपतराय,व मदनमोहन मालवीय जैसे नेता जुडे। इस बीच 1925 में डॉ0केशव राव बलीराम हेडगेवार के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना भी हुई।
लीग द्रारा पाकिस्तान की मॉग मुस्लिम नेताओ के मन में पाकिस्तान की स्थापना का विचार अचानक नही आया अपितू यह धीरे धीरे  विकसित हुआ। 1930 में मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन में डॉ0 मोहममद इकबाल ने सर्व इस्लाम की भावना से प्रेरित होकर पाकिस्तान की स्थापना के विचार प्रस्तुत किया।अंग्रेजी विश्वकोष के अनुसार पाकिस्तान की सबसे पहली परिकल्पना एक पंजाबी मुसलमान रहमतअली के दिमाग की उपज थी। पूर्व में राष्ट्रवादी मुसलमान रहे मोहम्मद जिन्ना भी अंततः साम्प्रदायिक बन गये। और अक्टुबर 1938 में उन्होने द्धिराष्ट्र की मॉग की। 1941 में मुस्लिम लीग ने मद्रास अधिवेशन में पाकिस्तान के निमार्ण को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया। 1942 में क्रिप्स मिशन ने आग में घी का काम करते हुय। पाकिस्तान की मॉग को प्रोत्साहित किया। और इस तरह अंततः भारत विभाजन पर कॉग्रेस को आम सहमति बनानी पडी।
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