भोपाल, 14 दिसंबर 2025: पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, अतिथि विद्वानों का सम्मान करते थे। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी अतिथि विद्वानों को दिया गया वचन पूरा करना चाहते हैं परंतु उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार, किसी की मानने और सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने अतिथि विद्वानों को, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बना दिया है। आज दमोह में पत्रकारों के सवाल पर जवाब देते हुए इसकी पुष्टि भी की है।
उच्च शिक्षा मंत्री अतिथि विद्वानों को मासिक वेतन देने को तैयार नहीं
मध्य प्रदेश में भाजपा की मोहन सरकार के 2 साल पूरा होने के अवसर पर सभी जिलों के प्रभारी मंत्री पत्रकारों को बुलाकर सरकार के विकास कार्य बता रहे हैं। दमोह के प्रभारी मंत्री एवं मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार भी दमोह में सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए पहुंचे। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री एवं दमोह जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि अतिथि विद्वानों को प्रति दिवस दो हजार रुपये के हिसाब से वेतन दिया जा रहा है और 44 हजार से लेकर 48 हजार रुपये तक का वेतन अतिथि विद्वानों को मिल रहा है। इस प्रकार उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अतिथि विद्वान, उनके विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की स्थिति में है।
अतिथि विद्वानों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बावजूद उसे लागू नहीं किया गया और अब प्रभारी मंत्री द्वारा दिए गए जवाब से भी स्पष्टता सामने नहीं आई। घोषणा और हकीकत के बीच इस अंतर ने अतिथि विद्वानों की चिंता बढ़ा दी है। वर्षों से सेवा दे रहे ये अतिथि अपने भविष्य और मानदेय को लेकर चिंतित हैं। जिन्हें कभी 25 प्रतिशत आरक्षण तो कभी फॉलेन आउट का झुनझुना पकड़ा दिया जाता है पर उन्हें शासकीय सेवकों जैसा सम्मान नहीं मिलता।
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