नमस्कार पाठकों, आज का ब्लॉग एक ऐसी स्थिति पर आधारित है जो आजकल काफी चर्चा में है: एक हिंदू विवाहित युवक, जिसके दो बच्चे हैं, बेरोजगार है और कोई संपत्ति नहीं है, लेकिन वह एक मुस्लिम लड़की से प्रेम करता है। लड़की के कहने पर वह घर में नमाज पढ़ता है और व्यावहारिक रूप से मुसलमान बन गया है। इस ब्लॉग में मैं इस व्यक्ति के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई, उसकी पत्नी और बच्चों के अधिकारों, तथा लड़की और उसके परिवार के खिलाफ कार्रवाई की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करूंगा। यह जानकारी मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2021, हिंदू मैरिज एक्ट 1955, इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर आधारित है।
1. स्थिति का कानूनी विश्लेषण: क्या व्यावहारिक धर्म परिवर्तन वैध है?
भारत में संविधान का अनुच्छेद 25 हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता असीमित नहीं है। अगर कोई हिंदू युवक घर में नमाज पढ़ता है या व्यावहारिक रूप से मुसलमान बन जाता है, तो यह अपने आप में कोई अपराध नहीं है, लेकिन यदि यह परिवर्तन प्रलोभन (allurement), धोखा, जबरदस्ती या विवाह के लिए प्रेरित है, तो मध्य प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2021 (जिसे MPFRA भी कहा जाता है) लागू होता है। इस एक्ट के तहत, परिवर्तन से 60 दिन पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को लिखित डिक्लेरेशन देना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो परिवर्तन अवैध माना जाएगा है।
इस मामले में, युवक विवाहित है और बच्चे हैं, इसलिए परिवर्तन का प्रभाव उसकी पहली शादी पर पड़ता है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत, धर्म परिवर्तन से शादी स्वतः समाप्त नहीं होती। अगर वह दूसरी शादी (मुस्लिम लड़की से) करने की कोशिश करता है, तो यह बिगामी (द्विविवाह) का अपराध बन जाता है।
एंटी-कन्वर्जन लॉ के तहत (MPFRA 2021)
यह एक्ट मिसरिप्रेजेंटेशन, फोर्स, अनड्यू इन्फ्लुएंस, कोएर्शन, इंड्यूसमेंट (प्रलोभन) या फ्रॉड से कन्वर्जन को प्रतिबंधित करता है। अगर परिवर्तन प्यार या विवाह के लालच से हुआ है, तो यह "इंड्यूसमेंट" माना जा सकता है। इसके अंतर्गत सजा 1 से 5 साल की कैद और 25,000 रुपये जुर्माना होता है। अगर पत्नी या परिवार शिकायत करता है, तो पुलिस FIR दर्ज कर जांच कर सकती है।
Marrying again during lifetime of wife
यदि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाहित कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के बाद दूसरी शादी करता है, तो यह कृत्य BNS की धारा 82(1) के तहत दंडनीय होगा। जब कोई व्यक्ति, जिसके पति या पत्नी जीवित हों, ऐसे मामले में विवाह करता है जिसमें पहले पति या पत्नी के जीवित रहते हुए विवाह अमान्य (void) हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को 7 साल जेल की सजा और जुर्माना से दंडित किया जाता है।
यदि युवक ने अपनी नई पत्नी (मुस्लिम लड़की) से अपने पहले विवाह के बारे में तथ्य छिपाकर दूसरी शादी की, तो उस पर धारा 82(2) के तहत अधिक गंभीर आरोप लग सकता है। इस अपराध के लिए कारावास की अवधि दस वर्ष तक बढ़ सकती है, और वह जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
Cruelty against wife
युवक का अपनी पत्नी और बच्चों को त्यागना, बेरोजगार होना, और दूसरी महिला के साथ संबंध स्थापित करना, पहली पत्नी के लिए मानसिक क्रूरता माना जा सकता है। BNS की धारा 85 के तहत, यदि कोई पति या उसका रिश्तेदार पत्नी के साथ क्रूरता करता है, तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाता है।
क्रूरता की परिभाषा: BNS की धारा 86(a) के अनुसार, क्रूरता में कोई भी जानबूझकर किया गया आचरण शामिल है जो महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करे या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (मानसिक या शारीरिक) को गंभीर चोट या खतरा पहुंचाए। यदि युवक का आचरण उसकी पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, तो यह धारा लागू हो सकती है।
बच्चों के अधिकार
बच्चों के पास अपने पिता से भरण-पोषण (Maintenance) प्राप्त करने का निर्विवाद कानूनी अधिकार है, भले ही पिता ने धर्म परिवर्तन कर लिया हो या वह बेरोजगार हो। बच्चों के लिए भरण-पोषण उसकी कानूनी जिम्मेदारी है। यदि वह स्वयं कोई रोजगार नहीं करता है तो सरकार मनरेगा आदि योजना में मजदूरी करवा कर बच्चों के लिए भरण पोषण के भुगतान की व्यवस्था कर सकती है। इसके अलावा आरोपी युवक के पिता यानी बच्चों के दादा इत्यादि पैतृक संपत्ति पर बच्चों का अधिकार होगा। पिता अपने जीवन में यदि कोई संपत्ति बनता है तो उस पर भी बच्चों का अधिकार होगा। धर्म परिवर्तन कर लेने से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम निष्प्रभावी नहीं होता।
मुस्लिम लड़की और उसके परिवार के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई
यदि यह स्थापित हो जाता है कि मुस्लिम लड़की ने, युवक के हिंदू होते हुए, उसे विवाह का झूठा वादा करके (जबकि वह जानती थी कि पहला विवाह वैध है) उसे यौन संबंध के लिए प्रेरित किया, तो धारा 69 के तहत उस पर कार्रवाई हो सकती है, हालांकि यह धारा पारंपरिक रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए डिज़ाइन की गई है।
Criminal Conspiracy or Abetment
यदि लड़की और उसके परिवार ने युवक को द्विविवाह (BNS 82) का अपराध करने के लिए दुष्प्रेरित (Abetted) किया या उसके साथ आपराधिक षडयंत्र (Criminal Conspiracy) में शामिल हुए, तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। दुष्प्रेरण का अर्थ है किसी को उकसाना या सहायता करना, या षडयंत्र में शामिल होना।
हिंदू मैरिज एक्ट धारा 13(1)(ii)
हिंदू मैरिज एक्ट धारा 13(1)(ii) के तहत, अगर पति किसी अन्य धर्म (जैसे इस्लाम) में परिवर्तित हो जाता है, तो पत्नी तलाक मांग सकती है। यह एक वैध ग्राउंड है। अगर दूसरी शादी होती है, तो पत्नी कोर्ट में चुनौती दे सकती है और एलिमोनी (एकमुश्त राशि) मांग सकती है। यह राशि सामान्य तौर पर लाखों रुपए होती है। जो महिला को जीवन भर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
CrPC धारा 125
CrPC धारा 125 के तहत, पत्नी पति से मेंटेनेंस मांग सकती है, भले वह कन्वर्ट हो। हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट धारा 18(2)(b) के तहत भी, अगर पति कन्वर्ट होता है, तो पत्नी सेपरेट रेसिडेंस और मेंटेनेंस का हकदार है। यानी की पत्नी को रहने के लिए एक घर और पालन पोषण का पूरा खर्चा देना होगा। यह रकम आमतौर पर पति की आय का 1/3, लेकिन यदि पति बेरोजगार है तो न्यायालय उसके काम करने की क्षमता देखेगा, लेकिन बेरोजगारी के कारण वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएगा। डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट से प्रोटेक्शन ऑर्डर भी मिल सकता है।
पत्नी फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है। ऐसी महिलाओं को फ्री लीगल एड दी जाती है। यानी कि एक वकील उपलब्ध करवाया जाता है जिसकी फीस सरकार देती है। महिला को वकील की फीस नहीं देनी पड़ती।
हालांकि, लव जिहाद लॉ मुख्य रूप से मुस्लिम मेन पर टारगेट होते हैं, लेकिन रिवर्स मामलों में भी लागू।
निष्कर्ष: क्या करें?
यह स्थिति भावनात्मक और कानूनी रूप से जटिल है। युवक को अपना फैसला सोच-समझकर लेना चाहिए, क्योंकि इससे परिवार टूट सकता है। पत्नी और बच्चों को तुरंत लीगल एड लें – मध्य प्रदेश राज्य लीगल सर्विसेस अथॉरिटी से फ्री कंसल्टेशन मिल सकता है। समाज में ऐसे मामलों को संवाद से सुलझाएं, लेकिन कानून का सहारा लें। याद रखें, कानून सबकी रक्षा करता है।
लेखक: एडवोकेट राजेश्वरी बंदेवार (फैमिली लॉ, पर्सनल लॉ और क्रिमिनल मामलों की अधिवक्ता)
(स्रोत: भारतीय कानून और कोर्ट जजमेंट्स।)
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