भोपाल, 24 दिसंबर 2025: नर्मदा परिक्रमा को पॉलिटिकल इवेंट नहीं कह सकते। 3000 किलोमीटर की पदयात्रा और वह भी नंगे पैर, किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है, और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सुपुत्र डॉ अभिमन्यु यादव, अपनी नव विवाहित धर्मपत्नी डॉ. इशिता यादव को लेकर नर्मदा परिक्रमा पर निकल पड़े हैं। डॉ अभिमन्यु यादव का विवाह 30 नवंबर 2025 को एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुआ था। विवाह के बाद नवयुगल अक्सर हनीमून पर जाते हैं लेकिन अभिमन्यु और इशिता अपने जीवन की सबसे कठिन यात्रा पर निकल पड़े हैं।
कड़कड़ाती ठंड में नंगे पैर और सादे कुर्ता-पायजामा
22 दिसंबर को ओंकारेश्वर से शुरू हुई ये यात्रा श्रद्धा और भक्ति का ऐसा नजारा पेश कर रही है कि देखने वाले भी भावविभोर हो जाते हैं। डॉ. अभिमन्यु और इशिता ने सिर पर कलश रखकर, नंगे पैर और सादे सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा दिसंबर में शुरू हो रही है जबकि ठंडी हवाओं का कहर बढ़ने लगा है। कोहरा छाने लगा है और आने वाले दिनों में पाला पड़ने वाला है। यह एक ऐसा समय है जब नर्मदा किनारे धमनियों में रक्त जम जाता है। अभिमन्यु और इशिता नंगे पैर और सादे कुर्ता-पायजामा में यात्रा कर रहे हैं।
साथ में बड़े भाई वैभव, भाभी, बड़ी बहन और जीजाजी भी हैं। सबसे पहले मां नर्मदा की पूजा-अर्चना की, आरती उतारी और ब्राह्मणों को भोज कराया। ये परिक्रमा नवदांपत्य जीवन की मंगल कामनाओं के साथ-साथ परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के संकल्प से जुड़ी हुई है।
वैभव भी नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं
इससे पहले बड़े बेटे वैभव भी नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं, लिहाजा यादव परिवार में ये अब परंपरा बन गई है। मां नर्मदा से उनका गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव जगजाहिर है। डॉ. अभिमन्यु ने बताया कि पौष मास शुक्ल पक्ष तृतीया से शुरू हुई ये यात्रा करीब 15 दिनों में पूरी होगी। वे बोले, "हम मां नर्मदा के आशीर्वाद से ये धर्म यात्रा पूरी करेंगे। उज्जैन में महाकाल और मां शिप्रा के तट पर बड़े हुए हैं, संस्कारों ने हमेशा धर्म से जोड़े रखा।"
युवा डॉक्टर दंपति ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर जाना और आशीर्वाद लेना उनकी हमेशा की इच्छा रही है। मां नर्मदा तो सनातन धर्म की प्राण हैं। अभी दोनों की पढ़ाई चल रही है, अगले महीने शुरू हो जाएगी, इसलिए पैदल पूरी परिक्रमा मुमकिन नहीं थी, लेकिन जो समय मिला उसी में निकल पड़े। कोई आशीर्वाद का मौका नहीं छोड़ना चाहते।
डॉ. अभिमन्यु ने युवाओं को भी संदेश दिया कि राष्ट्र सेवा सबसे बड़ा धर्म है, लेकिन सनातन संस्कृति और जड़ों से जुड़ना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। कोई शिक्षा या प्रोफेशन हमें अपनी परंपराओं से दूर नहीं कर सकता। डॉक्टर होकर मरीजों की सेवा, पत्रकार होकर समाज को जागरूक करना – सब अपनी भूमिका निभाएं, लेकिन तीर्थों और परिक्रमाओं से जुड़ें। आजकल युवाओं में ये जागरूकता देखकर अच्छा लगता है।
गौरतलब है कि सीएम डॉ. मोहन यादव ने बेटे की शादी में भी सादगी की अनोखी मिसाल पेश की थी। शिप्रा तट पर हुए सामूहिक विवाह में 21 जोड़े शामिल थे, कोई VIP व्यवस्था नहीं, कोई डेकोरेशन नहीं, अलग मंडप नहीं। गिफ्ट भी मना कर दिए। ये दिखावे वाली शादियों के खिलाफ था और सबका साथ-सबका विकास का संदेश देता था। इससे पहले बड़े बेटे वैभव की शादी भी पुष्कर में सादगी से हुई थी।
यादव परिवार की ये आस्था वाली यात्रा सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही है।
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